शिल्पा (बदला हुआ नाम) युवा लड़की ने सहारा हॉस्पिटल में आयोजित ब्रेस्ट कैंप में 2018 में जब परामर्श लिया तब उसके छाती में बहुत सारी गांठे पाई गई। कैंप में परामर्श के दौरान उसे सहारा हॉस्पिटल की एंडोक्राइन एंड ब्रैस्ट सर्जन द्वारा ऑपरेशन के लिए बताया गया था परन्तु वह पुनः आकर इलाज नहीं ले सकी जब वह 2023 में पुनः कैंप में आई और उसकी जांच की गई तो दोनों छाती उसकी गांठे पहले की तुलना में संख्या में बहुत अधिक हो चुकी थी। न केवल उनका आकर बल्कि संख्या में भी और अधिक हो गई थी और उसमें काफी दर्द भी था। उन की गांठों में से एक गांठ उनमें से बदलाव का रूप ले रही थी और वह लड़की बेहद चिंतित थी। फिर उसका अल्ट्रासाउंड जब किया गया और जब सारी महत्वपूर्ण जांचें की गई तो उसको आपरेशन की सलाह दी गई। फिर उसकी सहमति के बाद जब ऑपरेशन करा गया तो उसमें 12 से 14 घंटे एक छाती में और करीब 8 से 10 गांठे दूसरी छाती से लेप्रोस्कोपिक इंसीजन यानि बिल्कुल छोटे से कॉस्मेटिक इंसीजन द्वारा उसकी सारी गांठे निकाल दी गई जिससे कि कोई भी निशान या छाती में न आएं और आकर में बदलाव भी न आए।
सहारा हॉस्पिटल की एंडोक्राइन एंड ब्रैस्ट सर्जन डाक्टर फरहा अरशद ने बताया कि इस केस के माध्यम से अवगत कराया कि अगर गांठ शुरुआत की अवस्था में ठीक से निकाल दी जाए जब वह संख्या में कम हो तो और बदलाव का रूप न लिए हो तो बहुत सारे बड़े ऑपरेशंस से बच सकते हैं और मरीज जल्दी ठीक हो सकता है। अगर किसी भी महिला को या लड़की को कोई भी छाती में गांठ है तो शुरू की अवस्था में ही उसको परामर्श लेना चाहिए। युवती इलाज पाकर बेहद सन्तुष्ट थी और उसने डाक्टर का धन्यवाद किया।
सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार अनिल विक्रम सिंह ने बताया कि हमारे अभिभावक सहाराश्री जी के विजन व स्वप्न को पूरा करने की दिशा में अग्रसर है और सफल व जटिल सर्जरी कर नित नए मुकाम हासिल कर रही है।
श्री सिंह ने कहा कि सभी महिलाओं से अपील है किसी भी लक्षणों को न छिपाएं न हिचकिचाए सही समय पर सही विशेषज्ञ से परामर्श लेकर उचित इलाज लेकर लोगों की गम्भीरता से अपना बचाव करें।