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वैज्ञानिकों और निवेशकों से विचार-विमर्श कर विकसित यूपी 2047 विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जायेगा -मत्स्य विकास मंत्री, डॉ संजय कुमार निषाद

 

उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास एवं निवेश शिखर सम्मेलन-2025 (विजन-2047) का दो दिवसीय आयोजन संपन्न

प्रदेश की सरकार द्वारा निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण एवं अन्य सभी सुविधायें भी दी जा रही हैं

एनीटाइम न्यूज नेटवर्क।

 

मत्स्य विकास विभाग का विकसित यूपी 2047 विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने हेतु 02 दिवसीय उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास एवं निवेश शिखर सम्मेलन दिनांक 17 एवं 18 दिसम्बर को राष्ट्रीय मात्स्यिकीय आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो लखनऊ में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मत्स्य विज्ञान से संबंधित विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं के विशिष्ट ज्ञान एवं विशेषज्ञता रखने वाले देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक, अधिकारी एवं मत्स्य के क्षेत्र में निवेश करने वाले निवेशक (इन्वेस्टर) सहित लोगो द्वारा प्रतिभाग किया गया इस अवसर पर मत्स्य विकास मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद जी द्वारा बताया गया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य मत्स्य विकास के क्षेत्र में तीव्र विकास, उत्पादकता वृद्धि एवं मूल्य संवर्धन हेतु रणनीतिक हस्तक्षेपों, नीतिगत सहयोग तथा निवेश के अवसरों पर विचार-विमर्श करके विजन तैयार करना है। इस कार्यक्रम के माध्यम से वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं निवेशकों से विचार-विमर्श कर उनसे सुझाव एवं सहयोग प्राप्त कर विकसित यूपी 2047 विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जायेगा। मत्स्य विभाग द्वारा आयोजित निवेश शिखर सम्मेलन से विकसित यूपी 2047 के ठोस रोडमैप तैयार करने एवं उत्तर प्रदेश को मत्स्य विकास के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। मत्स्य मंत्री ने कहा की उत्तर प्रदेश में मत्स्य विकास हेतु केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना, निषादराज बोट सब्सिडी योजना, सघन मत्स्य पालन हेतु एयरेटर के साथ-साथ मछुआ कल्याण कोष योजना चलायी जा रही है। मछुआरों एवं मत्स्य पालको के कल्याण के लिए मछुआ दुर्घटना बीमा योजना एवं नदियों में रिवर रैंचिंग की योजनायें भी चलायी जा रही हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ मछुआरों एवं मत्स्य पालको को मिल रहा है, जिससे रोजगार के नये अवसर सृजित हो रहे हैं। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं एवं कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप मछुआरों एवं मत्स्य पालको का सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान हो रहा है। इसके साथ-साथ उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास के क्षेत्र में तीव्र गति से विकास कर रहा है। मा0 मंत्री जी द्वारा बताया गया कि मत्स्य के क्षेत्र की विकास दर अन्य सभी क्षेत्रों से अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में मत्स्य पालन की असीम संभावनायें है तथा विशाल उपभोक्ता बाजार भी उपलब्ध है।

प्रदेश सरकार द्वारा इन्वेस्टर के लिए अनुकूल वातावरण एवं अन्य सुविधायें भी दी जा रही है। कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ वैज्ञानिको एवं निवेशकों से विशेष रूप से आह्वान किया गया कि विकसित यूपी 2047 विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने हेतु अपने महत्वपूर्ण सुझाव दें तथा मत्स्य विकास के क्षेत्र में निवेश हेतु आगे आयें। उत्तर प्रदेश सरकार निवेशकों का हर संभव सहयोग करने के लिए तत्पर है। प्रत्येक जलवायु क्षेत्र के हिसाब से इन्वेस्टर्स के लिए पारदर्शी एवं समावेशी नीतियाँ बनायी जाए तथा अन्य विभागो से समन्वय स्थापित कर समयबद्ध रूप से कार्यवाही की जाए। प्रमुख सचिव, मत्स्य विकास मुकेश मेश्राम द्वारा बताया गया कि मत्स्य पालन उपयोग हेतु विस्तृत रणनीति एवं कार्य योजना बनाये जाने की आवश्यकता है। अच्छी मत्स्य प्रजातियों एवं ब्रूडर्स की उपलब्धता बढ़ानी पड़ेगी। उत्तर प्रदेश की आबादी अधिक होने के कारण एक बड़ा उपभोक्ता बाजार उपलब्ध है। विशेषज्ञों, वैज्ञानिको एवं इन्वेस्टर्स के ज्ञान एवं अनुभव का उपयोग कर विजन 2047 के मार्ग दर्शक सिद्धान्त तैयार किये जायेगें तथा प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहित कर उत्पादन एवं प्रोसेसिंग को बढावा देकर मत्स्य विकास के क्षेत्र में अच्छी प्रगति की जा सकती है। मुख्यमंत्री जी के सलाहकार के वी राजू ने कहा कि मत्स्य क्षेत्र में चार समूहों (मत्स्य बीज उत्पादन, मत्स्य उत्पादन, मार्केटिंग एवं प्रोसेसिंग तथा टेक्नोलॉजी प्रसार एवं इन्टरवेंशन) समूह का गठन किया गया है। जिनके द्वारा गहन विचार-विमर्श कर विजन डाक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। पिछले 07 वर्षों में उत्तर प्रदेश में मत्स्य पालन के क्षेत्र में अधिक प्रगति हुई है। मत्स्य विकास हेतु गठित चार समूहों द्वारा रोडमैप तैयार कर आन्ध्र प्रदेश के भीमावरम की तरह उत्तर प्रदेश में भी इसे विकसित किये जाने की आवश्यकता है। चेयरमैन उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम रमाकान्त निषाद, चेयरमैन उत्तर प्रदेश मत्स्य जीवी सहकारी संघ वीरू साहनी, द्वारा निगम में कर्मचारियों की कमी की समस्या दूर करने पर जोर दिया गया, जिससे निगम द्वारा मत्स्य पालको एवं किसानो को अच्छी गुणवत्ता युक्त बीज दिये जा सके। महानिदेशक, मत्स्य, श्लक्ष्मी के. द्वारा मत्स्य विभाग की वर्तमान उपलब्धियों एवं संभावनाओं को रेखांकित किया गया तथा उत्तर प्रदेश को मत्स्य पालन के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर लाने हेतु विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत किया गया।

प्रथम तकनीकी सत्र में मत्स्य बीज उत्पादन एवं द्वतीय तकनीकी सत्र में तकनीकी प्रसार तथा इन्टरवेंशन पर विचार-विमर्श किया गया। तृतीय तकनीकी सत्र में श्री एजाज अहमद नकवी उप निदेशक मत्स्य (नियोजन) द्वारा फिश मार्केटिंग एवं प्रोसेसिंग पर वर्तमान एवं भविष्य के परिदृश्य का प्रस्तुतिकरण किया गया। श्री इकबाल खान इण्टरप्रेन्योर द्वारा फिश प्रोसेसिंग, श्री आकाश सिंह फिश व्हाइट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा लाइव फिश डिलेवरी एवं सप्लाई चेन, श्री सुजीत चौधरी इण्टरप्रेन्योर द्वारा फिश प्रोडक्सन एवं फिश मार्केट, श्री डी.के. राय ट्रू एक्वामेरीन द्वारा फिश प्रोसेसिंग तथा श्री परवेज खान द्वारा डिजिटल फिश मार्केटिंग पर परिचर्चा की गयी। चतुर्थ तकनीकी सत्र में सृष्टि यादव उप निदेशक मत्स्य लखनऊ मण्डल द्वारा मत्स्य उत्पादन में वृद्धि के वर्तमान एवं भविष्य के परिदृश्य का प्रस्तुतिकरण किया गया। डा0 रविन्द्र कुमार हेड जिनोमिक्स एवं कम्प्यूटेशनल डिवीजन एन.बी.एफ.जी.आर. द्वारा मत्स्य उत्पादन, श्री रजनीश कुमार इण्टरप्रेन्योर द्वारा एक्वाकल्चर प्रोडक्शन एण्ड एक्वा टूरीज्म, श्री रामानन्द ग्रोवेल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा मत्स्य उत्पादन में फिश फीड की भूमिका तथा श्री अंश गुप्ता शिरोमणी इण्टरप्राइज द्वारा केज फार्मिंग के माध्यम से मत्स्य उत्पादन पर विस्तृत चर्चा की गयी। कार्यक्रम में विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का प्रचार-प्रसार पोस्टर, बैनर स्टॉल, पम्पलेट एवं साहित्य वितरण के माध्यम से किया गया साथ ही दयाल ग्रुप फिश फीड एवं पर्ल कल्चर की स्टॉल लगायी गयी तथा मोबाइल लाइव फिश वेण्डिंग सेण्टर की प्रदर्शनी भी लगायी गयी।

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