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संघर्ष से लिखी वासले लॉन्ड्री की इबारत

जोश और जुनून को शोध के साथ किया जाता है तो एक नई इबारत लिखी जाती है कुछ ऐसा ही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोंडा से आए एक नौजवान उद्यमी ने साहूकारों से ब्याज पर पैसा लेकर लॉन्ड्री का धंधा शुरू किया जो आज लखनऊ से निकलकर उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड राजस्थान मध्य प्रदेश और दिल्ली तक 60 से ज्यादा फ्रेंचाइजी के माध्यम से लॉन्ड्री सेवा का कारोबार कर रहा हैं यह बातें वासले लॉन्ड्री की छठवीं वर्षगांठ पर प्रेस वार्ता के दौरान कंपनी के फाउंडर नर्सिंह यादव ने कंपनी के मुख्यालय गोमती नगर में कहीं।


उन्होंने कहा की जिस आर्थिक तंगी को मैंने झेला है उस तंगी को मैं अपने फ्रेंचाइजी को जोड़ने पर नहीं आने देने का योजना बना रखी है साथ ही उनको आर्थिक संसाधनों से मदद कर उनको भी समाज और देश हित में आर्थिक विकास का एक पहिया बनाना ही है एक मात्र लक्ष्य है
नर्सिंह ने बताया कि लखनऊ में 15 से ज्यादा फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम हो रहा है प्रदेश में 30 से ज्यादा फ्रेंचाइजी कम कर रहे हैं और राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ बिहार और एनसीआर में भी 30 से ज्यादा फ्रेंचाइजी अपनी सेवाएं दे रहे आने वाले वित्तीय वर्ष में 100 से ज्यादा फ्रेंचाइजी बनाने का लक्ष्य है

 


वासले लॉन्ड्री के संस्थापक ने कहा कि लॉन्ड्री का बिजनेस असंगठित क्षेत्र के पास है जिसकी वजह से इस क्षेत्र में संगठित रूप से काम करने पर बहुत बड़ा बाजार उपलब्ध है यही वजह है कि लोग इस धंधे में 40 से 50 फ़ीसदी का मुनाफा कम कर अपना और अपनों का आर्थिक उत्थान कर सकते हैं।

नर्सिंह का सफर सिर्फ बिजनेस तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने ज़रूरतमंदों के लिए कपड़े दान करने की पहल शुरू की, जिससे अनगिनत लोगों को फायदा मिला। उन्होंने रोजगार के नए अवसर पैदा किए और ’250 से अधिक लोगों’ को सीधे और ’200$ लोगों’ को फ्रैंचाइज़ी के ज़रिए रोजगार दिलाया। इसके साथ ही, ’स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग प्रोग्राम्स’ के माध्यम से कई लोगों को आत्मनिर्भर बनाया।

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