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एससी और एसटी वर्गों को आरक्षण देतेे समय ‘‘क्रीमी लेयर‘‘ और उप-वर्गीकरण से समूचा आरक्षण निष्प्रभावी बना दिया – बसपा प्रमुख मायावती

पूजा श्रीवास्तव

माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिनांक पहली अगस्त 2024 के आये निर्णय में, जिसमें एससी और एसटी वर्गों को आरक्षण देतेे समय ‘‘क्रीमी लेयर‘‘ लागू करने तथा इन वर्गाें के लोगों का उप-वर्गीकरण कर समूचे आरक्षण को ही एक प्रकार से खत्म कर दिया गया है अर्थात् निष्प्रभावी बना दिया गया हैै। इसके लिए संसद सत्र में ही संविधान में संशोधन करके व कानून बनाते हुय करनी चाहिए थी लेकिन नया शगूफा टेलीवीजन के चैनलों में यह दर्शाया गया कि बीजेपी के एससी और एसटी के सभी सांसद प्रधानमंत्री जी से मिले हैं अवगत कराया, जिसपर माननीय प्रधानमंत्री जी ने उन्हें यह आश्वासन दिया कि एसटी और एसटी वर्गाें के आरक्षण में ‘‘क्रीमी लेयर‘‘ तथा उनका उप-वर्गीकरण नहीं होने दिया जायेगा। यें बातें प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती ने पार्टी के मुख्यालय में कही।

बहन जी ने कहा कि संसद के इसी सत्र में संविधान संशोधन न लाकर अचानक वर्तमान सत्र को ही तय की गई निश्चित तारीख के पूर्व ही कल दिनांक 09 अगस्त 2024 की शाम को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दिया गया है, जिससे कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया यह असंवैधानिक निर्णय बना रहे और बीजेपी की केन्द्र की सरकार की मंशा, जिसकी वकालत उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में की थी, वह बनी रहे जिसके तहत् इस देश के समूचे एससी और एसटी वर्गों के लोगों को ‘‘क्रीमी लेयर‘‘ के बहाने तथा उनके बीच में उप-वर्गीकरण करके उन्हें आरक्षण से ही हमेशा-हमेशा के लिये वंचित कर दिया जाये और इस प्रकार से फिर बिना संविधान बदले ही एससी और एसटी वर्गों का आरक्षण हमेशा के लिये खत्म कर दिया जाये।
इस प्रकार, एक ओर वर्तमान संसद सत्र को निश्चित तिथि से पूर्व ही समाप्त करना और दूसरी तरफ माननीय प्रधानमंत्री जी का यह हवा-हवाई आश्वासन देना कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को नहीं लागू किया जायेगा और फिर इस मामले में कोई भी कदम न उठाना तथा कोई भी कार्यवाही आदि न करना यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि या तो माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा इस तरह का कोई आश्वासन अपने एससी और एसटी वर्गों के सांसदों को दिया ही नहीं गया है और या फिर ऐसा आश्वासन केवल इन वर्गों के लोगों को भ्रमित व गुमराह करने के लिये ही दिया गया है और इसी लिये अभी तक अधिकारिक तौर से मा. प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रेस के माध्यम से या अपने आधिकारिक पोस्ट के माध्यम से इस आश्वासन की कोई पुष्टि नहीं की गई है।

बसपा प्रमुख ने कहा कि केन्द्र की सरकारों ने इस आरक्षण को खत्म करने के लिये समय-समय पर लगातार अनेकों प्रयत्न (कोशिशें) किये हैं जैसे कि,
प्ण् सरकारी नौकरियों को खत्म करके कान्ट्रेक्ट (ठेकेदारी प्रथा) के माध्यम से कार्य कराना जिनमें उनके द्वारा नियुक्त कर्मचारियों पर कोई आरक्षण लागू नहीं होता है।
प्प्ण् सरकारी उपकर्मों (संस्थानों) को निजी हाथों में बेचकर उनमें मिल रही लाखों की संख्या में नौकरियाँ जिसमें एससी और एसटी वर्गों को भी आरक्षण उपलब्ध था वो भी खत्म कर देना।
प्प्प्ण् लाखों की संख्या में पदों को खाली रखना।
प्टण् देश में लाखों पद जो कि एससी और एसटी वर्गों के लिये आरक्षित थे उन्हें सालों से खाली रखना और बाद में उन्हें समाप्त करके सामान्य वर्ग को दे देना।
टण् पदोन्नति ;च्तवउवजपवदद्ध में आरक्षण के लाभ से एससी और एसटी वर्गों के कर्मचारियों को पहले ही माननीय सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व निर्णय जो कि नागराज के केस में दिया गया था, उसके तहत् खत्म कर दिया गया था तथा जिस निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिये संसद में संवैधानिक संशोधन विधेयक बीएसपी के अथक प्रयासों से राज्यसभा में तो पारित हो गया था परन्तु उसके बाद वह लोकसभा में आज तक भी पास करने के लिये नहीं लाया गया है।
टप्ण् और यह वही बिल है जिसको की समाजवादी पार्टी ने अपने सांसदों के द्वारा कांग्रेस एवं बीजेपी के साथ मिलकर संसद के अन्दर ही फाड़ दिया था।

और अब इसी प्रकार ही भाजपा की केन्द्र सरकार ने अपने वकील अटार्नी जनरल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में उप-वर्गीकरण और ‘‘क्रीमी लेयर‘‘ के पक्ष में गलत दलीलंे दिलवायीं थीं जिसकी वजह से ही नागराज के निर्णय की ही तरह दविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य के केस में भी माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक पहली अगस्त 2024 को आरक्षण के विरुद्ध निर्णय दिया गया है, जिसका सीधा असर यह होने लगा है कि अब सम्पूर्ण एससी और एसटी वर्गों को आरक्षण प्राप्त नहीं हो सकेगा।
क्योंकि इस निर्णय के अन्दर ऐसी व्यवस्था कर दी गई है कि अब पूरे देश में राज्य सरकारें अपने-अपने राजनैतिक फायदे के हिसाब से एससी और एसटी वर्गों के लोगों को आपस में ही लड़वाने का काम करेंगी और इन वर्गों के लोगों को जीवन-भर कोर्ट-कचहरी के ही चक्कर लगाने के लिये मजबूर कर देंगी और फिर अन्त में इनके सभी आरक्षित पद खाली पड़े रहने के कारण या तो यह पद खत्म कर दिये जायेंगे अन्यथा इन्हें सामान्य वर्ग को ही दे दिया जायेगा।

बसपा प्रमुख ने कहा कि पहली अगस्त 2024 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एससी और एसटी वर्गों के आरक्षण के मामले में दिये गये निर्णय को लेकर अभी तक भी कांग्रेस पार्टी चुप क्यों बैठी है? इन वर्गों को यह भी सोचने की बात है।
इसके साथ ही, जहाँ-जहाँ इस पार्टी की अपनी राज्य सरकारें हैं तो वहाँ यह पार्टी अभी तक भी अपनी स्थिति क्यों नहीं स्पष्ट कर पा रही है अर्थात् वहाँ भी यह पार्टी चुप क्यों बैठी है? या फिर यह कहंे कि हम इस निर्णय को ही मानते हैं और इस पर ही अमल करेंगे।

इसके साथ-साथ आम आदमी पार्टी जिनकी पंजाब व दिल्ली में इनकी अपनी सरकार है, यह पार्टी भी इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करे कि यह पार्टी इस निर्णय को वहाँ लागू करेगी या नहीं।
इस प्रकार इन पार्टियों की भी इस दोगली नीति से ैब् व ैज् वर्गों के लोग जरूर सावधान रहें जिन्होंने इस बार देश में 18वीं लोकसभा के हुए आमचुनाव में खासकर आरक्षण व संविधान को बचाने के नाम पर इन वर्गाें का वोट हासिल करके अपनी अधिकांश सीटें जीत ली हैं और अपनी एक मात्र हितैषी पार्टी बी.एस.पी. को नुकसान पहुँचा दिया है।
मायावती नेकहा कि फिर मा. प्रधानमंत्री जी से यही कहना है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 1 अगस्त 2024 के संविधान पीठ के उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर के सम्बंध में दिए गए निर्णय में आवश्यक सुधार करके पहले जैसी स्थिति बहाल करने के लिए संसद का सत्र बुलाकर अविलम्ब ठोस कार्यवाही करें ताकि इस निर्णय के प्रभाव से पूरे एससी-एसटी वर्गे के लोगों का बचाया जा सके।
केन्द्र सरकार अपने हित केे मामलों पर तो जब चाहे संसद का सत्र बुला लेती है तो फिर एससी-एसटी आरक्षण के अति-महत्वपूर्ण मुद्दे के आश्वासन को पूरा किये बिना ही संसद क्यों अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया? अगर इस मामले में उनकी नीयत व नीति पाक-साफ है तो संसद का सत्र फौरन बुलाकर सम्बंधित संविधान संशोधन जरूर पारित किया जाए, जिससे इस मुद्दे पर कांग्रेस, सपा सहित अन्य सभी पार्टियों की नीयत व नीति भी देश के सामने साफ हो जाएगी।

 

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