34 वर्षीय युवक कनार्टक में प्राइवेट फर्म में कार्यरत हैं, वो एक्सीडेंट में बुरी तरह से घायल हो गया और उसके पैर की हड्डी टूट गई। आनन फानन में कर्नाटक के एक सरकारी हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती कराया गया, जहां आपरेशन के पांच दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया लेकिन मरीज के पैर की हड्डी ऊपर से दिख रही थी, उस पर मांस नहीं था। पैर की त्वचा में संक्रमण फैल गया था और पैर का कुछ भाग सड़ने लगा था जिसके लिए उसे पैर काटने की सलाह दी गई।
मरीज के रिश्तेदार ने सहारा हास्पिटल में इलाज कराने की सलाह दी। यहां उन्होंने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ऋषभ जयसवाल और प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर अनुराग पाण्डेय को दिखाया। उन्होंने मरीज के पैर की सड़न को आपरेशन द्वारा नियंत्रित किया और फिर उसकी हड्डी के लिए आपरेशन डाक्टर ऋषभ ने एक महीने बाद फिर बुलाया। इस बार वैस्कुलर बोन ट्रांन्सफर यानि एक तरफ की हड्डी निकालकर दूसरी तरफ इम्पलान्ट किया। अगर मरीज के पैरों की सड़न को न ठीक किया जाता तो मरीज का पैर काटना पड़ता।
सहारा हॉस्पिटल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डाक्टर ऋषभ जयसवाल व प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉक्टर अनुराग पाण्डेय ने मिलकर मरीज के पैर को संक्रमण से बचाते हुए हड्डी को जोड़कर इस चुनौती पूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक संपन्न किया। मरीज बेहद सन्तुष्ट था क्योंकि सहारा हॉस्पिटल में न केवल उसका पैर कटने से बचा अपितु चीफ मिनिस्टर फंड मिल जाने की वजह से उसे बहुत बड़ी आर्थिक मदद भी मिल गई क्योंकि वह खर्च उठाने में नहीं सक्षम नहीं था। मरीज ने सफल इलाज के लिए डाक्टरों की टीम का धन्यवाद किया।
सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार श्री अनिल विक्रम सिंह जी ने बताया कि हमारे माननीय अभिभावक सहाराश्री जी द्वारा प्रदत्त हास्पिटल में पहले भी कई मरीजों को मुख्यमंत्री राहत कोष द्वारा सहारा हॉस्पिटल के माध्यम से इलाज मिला है। यह सेवाएं निरंतर जारी है। सहारा हॉस्पिटल अपने अभिभावक के विजन व मिशन की तरफ बढ़ते हुए मरीजों को किफायती दरों पर सेवाएं दे रहा है। इसके अतिरिक्त नि:शुल्क शिविर लगाकर लोगों को लाभान्वित किया जाता है।