भारतीय उद्योग परिसंघ – खाद्य और कृषि उत्कृष्टता केंद्र ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में FSSAI और उत्तर प्रदेश राज्य एफडीए के साथ मिलकर सफलतापूर्वक 19वां राज्य कनेक्ट कार्यक्रम आयोजित किया। यह एक महत्वपूर्ण मंच है जो खाद्य सुरक्षा, अनुपालन और फोर्टिफिकेशन पहलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नियामक प्रगति, उद्योग की चुनौतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर चर्चा करता है।
FSSAI द्वारा अनुपालन और व्यवसाय करने में आसानी को मजबूत करने के लिए प्रमुख पहलें
FSSAI के सलाहकार (गुणवत्ता आश्वासन) और कार्यकारी निदेशक (नियामक अनुपालन, TICD, क्षेत्रीय कार्यालय) *डॉ. एस.के. पांडा* ने बताया कि FSSAI खाद्य आयात को बेहतर बनाने, राज्य स्तर की पहलों को समर्थन देने और सुरक्षित खाद्य व्यवहारों की दिशा में सामाजिक एवं व्यवहारिक परिवर्तन लाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। खाद्य फोर्टिफिकेशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी FBOs का FoSCoS पोर्टल पर पंजीकरण आवश्यक है। परीक्षण महत्वपूर्ण है, लेकिन असली खाद्य सुरक्षा इस बात से शुरू होती है कि भोजन कैसे निर्मित होता है और उसमें उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता क्या है। निरीक्षण प्रणाली को जोखिम-आधारित योजना के माध्यम से मजबूत बनाना और निरीक्षणों की संख्या बढ़ाना एक सशक्त खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए जरूरी है।
*श्री रंजन कुमार, आईएएस, प्रमुख सचिव, आयुष एवं खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार* ने लखनऊ में आयोजित CII राज्य कनेक्ट कार्यक्रम में कहा कि सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पर केंद्रित जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता है, जो विकसित भारत की परिकल्पना के अनुरूप है। उन्होंने UP राज्य FDA द्वारा अनुपालन की निगरानी के लिए डिजिटल सिस्टम को बढ़ावा देने और लागू करने के प्रयासों पर प्रकाश डाला, जिसे खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा दक्षता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाएगा।
*श्री रणवीर प्रसाद, आईएएस, प्रमुख सचिव, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार* ने राज्य में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से निपटने हेतु नवोन्मेषी खाद्य फोर्टिफिकेशन पहलों में राज्य की अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि राज्य में एनीमिया की दर 40% से अधिक है। इसे कम करने के लिए उत्तर प्रदेश ने चावल फोर्टिफिकेशन में अग्रणी भूमिका निभाई है, जिससे लगभग 19.17 लाख लाभार्थियों को 865 PDS दुकानों, 1,823 आंगनवाड़ी केंद्रों और 102 चावल मिलों के माध्यम से लाभ पहुंचाया गया है। अब राज्य गेहूं के आटे के फोर्टिफिकेशन का पायलट शुरू करने की योजना बना रहा है।
*श्री अखिलेश गुप्ता, उप निदेशक, FSSAI* ने FoSCoS पोर्टल का लाइव डेमो प्रस्तुत किया, जिसमें खाद्य व्यवसाय ऑपरेटरों और उपभोक्ताओं को ऑनलाइन पंजीकरण, लाइसेंसिंग और अनुपालन प्रक्रिया के बारे में बताया गया।
इसके अलावा, विशेषज्ञों द्वारा विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए, जिनमें FSSAI के नियामक अनुपालन और पोर्टल के प्रदर्शन जैसे विषय शामिल थे। इन इंटरएक्टिव सत्रों के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को बेहतर समझ और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पारदर्शिता को बढ़ावा दिया गया। दूध में मिलावट की त्वरित पहचान विधियों और खाद्य पदार्थों में भारी धातु एवं प्राकृतिक विषों की पहचान पर भी विशेष ध्यान दिया गया। इस पहल के तहत CSIR-IITR में राज्य खाद्य प्रयोगशालाओं के लिए डेमो भी आयोजित किया गया।
बड़े पैमाने पर खाद्य फोर्टिफिकेशन को सुदृढ़ बनाना: गुणवत्ता सुधार हेतु क्षमताओं का निर्माण
राज्य कनेक्ट कार्यक्रम में चावल, खाद्य तेल, दूध और गेहूं आटे के फोर्टिफिकेशन पर केंद्रित समर्पित चर्चाएं आयोजित की गईं। इसमें उद्योग विशेषज्ञों और प्रमुख हितधारकों ने तकनीकी पहलुओं, प्रीमिक्स चयन और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म पोषक तत्वों को मापने की विधियों पर अपने विचार साझा किए। इस सत्र का नेतृत्व PATH, GAIN, Technoserve, KHPT, Fortify Health और WFP जैसे प्रमुख संगठनों ने किया। इसमें डेयरी कंपनियां, चावल निर्माता, FRK निर्माता, खाद्य तेल उद्योग, गेहूं आटा मिल, प्रयोगशालाएं, अकादमिक संस्थान और प्रीमिक्स आपूर्तिकर्ता शामिल हुए, जिन्हें तकनीकी पहलुओं, नियामक अनुपालन और फोर्टिफिकेशन तकनीकों पर जागरूक किया गया। गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित इस मंच के माध्यम से CII बेहतर निर्माण प्रक्रियाओं, गुणवत्ता और अनुपालन के लिए बहु-हितधारक सहभागिता को और गहरा करेगा।
स्वास्थ्य सप्लीमेंट्स, न्यूट्रास्यूटिकल्स, विशेष आहार, चिकित्सा उद्देश्य हेतु खाद्य और प्रीबायोटिक व प्रोबायोटिक खाद्य के गुणवत्ता प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश दस्तावेज पर इंटरेक्टिव परामर्श
FSSAI और उत्तर प्रदेश राज्य FDA के अधिकारियों ने स्वास्थ्य सप्लीमेंट्स और न्यूट्रास्यूटिकल उत्पादों के निर्माण में अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए लक्षित पहल की शुरुआत की। FSSAI के GMP और QMS पर आधारित दिशा-निर्देश दस्तावेज का संदर्भ लेते हुए, अधिकारियों ने गुणवत्ता मानकों के अनुसार उत्पादों के निर्माण की निरंतरता और उत्पादन में जुड़े जोखिमों पर बल दिया।
उत्तर प्रदेश की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता
उत्तर प्रदेश भारत में बागवानी फसलों और खाद्यान्नों का एक प्रमुख उत्पादक राज्य है, जो खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए एक आकर्षक आधार प्रस्तुत करता है। यह फल और सब्जियों, खाद्यान्न, दूध, गन्ना, आलू, मटर, आम, आंवला और तरबूज के उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है। राज्य देश के कुल गेहूं उत्पादन का 35%, गन्ना उत्पादन में 35% हिस्सेदारी रखता है, देश में चीनी उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और मांस निर्यात में सबसे आगे है। राज्य में 15 आधुनिक एकीकृत बूचड़खाने और 35 मांस प्रसंस्करण इकाइयां हैं। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और अनुपालन को लागू करने के लिए राज्य ने लगातार क्षमता निर्माण पर कार्य किया है और खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाकर 18 कर दी है, जिससे लैब इन्फ्रास्ट्रक्चर को और अधिक मजबूत किया गया है।
Pic 1 (L to R) : सभा को संबोधित करते हुए *श्री रणवीर प्रसाद, आईएएस* , प्रमुख सचिव, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण, यूपी सरकार, *श्री हरि शंकर सिंह* , उपायुक्त, यूपी एफएसडीए, डॉ. एस.के. पांडा, सलाहकार (गुणवत्ता आश्वासन) और कार्यकारी निदेशक (नियामक अनुपालन, टीआईसीडी, क्षेत्रीय कार्यालय), एफएसएसएआई, *श्री रंजन कुमा* र, आईएएस, प्रमुख सचिव, आयुष और खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग, यूपी सरकार, *श्री आकाश गोयनका* , पूर्व अध्यक्ष- सीआईआई उत्तर प्रदेश और निदेशक- गोल्डी समूह