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भारत की ग्रीन हाइड्रोजन की उत्पादन क्षमताओं का पता लगाना

 

भारत की ग्रीन हाइड्रोजन की उत्पादन क्षमताओं का पता लगाना

Posted On: 12 NOV 2025 1:39PM by PIB Delhi

मुख्‍य बिंदु

 

भारत का लक्ष्य 2030 तक सालाना 5 एमएमटी ग्रीन हाइड्रोजन का उत्‍पादन करना है।

भारत की प्रथम बंदरगाह-आधारित ग्रीन हाइड्रोजन पायलट परियोजना वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट पर शुरू की गई।

10 मार्गों पर हाइड्रोजन मोबिलिटी पायलट परियोजनाएँ शुरू की गई, जिनमें 37 फ्यूल सेल और हाइड्रोजन इंटरनल कंबशन इंजन वाली गाड़ियां शामिल हैं।

इस मिशन से 8 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा निवेश आकृष्‍ट होने और जीवाश्‍म ईंधन आयात में 1 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा की कमी आने की संभावना है।

परिचय

 

भारत का ऊर्जा परिवर्तन एक अहम दौर में पहुँच रहा है, क्योंकि देश जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है और घरेलू स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ा रहा है। यह 2047 तक विकसित राष्‍ट्र बनने और 2070 तक नेट ज़ीरो का लक्ष्‍य हासिल करने के इसके विज़न के अनुरूप है। इस परिवर्तन में, ग्रीन हाइड्रोजन एक स्वच्छ, बड़े पैमाने पर अपनाए जा सकने वाले ईंधन के विकल्प के तौर पर उभरा है, जो ऐसे क्षेत्रों को डीकार्बनाइज़ कर सकता है, जहाँ कार्बन कम करना मुश्किल है, जो जीवाश्म ईंधन पर आयात निर्भरता कम कर सकता है, तथा ऊर्जा सुरक्षा और औद्योगिक विकास के लिए भारत के लक्ष्यों में सहायता प्रदान कर सकता है।

 

भारत सरकार ने 2023 में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) का शुभारंभ किया, जो एक व्‍यापक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्‍य ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम बनाना और इस क्षेत्र में मौजूद अवसरों और चुनौतियों के प्रति प्रणालीगत प्रतिक्रिया को प्रेरित करना है।

 

उद्देश्‍य

 

यह मिशन मात्र एक ऊर्जा पहल से कहीं बढ़कर है; यह औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता, आयात कम करने और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में एक रणनीतिक मार्ग है- जो स्थिरता को आत्मनिर्भरता से जोड़ता है।

 

ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?

 

ग्रीन हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन है, जिसका निर्माण जीवाश्म ईंधनों के बजाय, सौर या पवन ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करके किया जाता है। इस प्रक्रिया में, सौर पैनल या पवन टर्बाइन से मिली बिजली का इस्तेमाल करके पानी को इलेक्ट्रोलाइसिस के ज़रिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित किया जाता है। भारत सरकार द्वारा अधिसूचित मानकों के अनुसार, इस तरह से बनाया गया हाइड्रोजन “ग्रीन” तभी माना जाता है, यदि इस प्रक्रिया से होने वाला कुल उत्‍सर्जन बहुत कम, यानी हर 1 किग्रा हाइड्रोजन बनाने पर 2 किग्रा CO₂ समतुल्य से ज़्यादा न हो। ग्रीन हाइड्रोजन बायोमास (जैसे कृषि अपशिष्ट) को हाइड्रोजन में बदलकर भी बनाया जा सकता है, बशर्ते उत्‍सर्जन उसी निर्धारित सीमा से नीचे रहे।

 

नेशनल हरित हाइड्रोजन मिशन (एनजीएचएम) का उद्देश्‍य भारत को स्‍वच्‍छ हाइड्रोजन के संबंध में विश्‍व में अग्रणी बनाने के लिए आवश्‍यक क्षमता और इकोसिस्‍टम तैयार करना है। 2030 तक, इस मिशन को ग्रीन हाइड्रोजन उत्‍पादन के लिए समर्पित लगभग 125 गीगावाट नई नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता और 8 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा के निवेश से सहायता मिलेगी। इस मिशन से 6 लाख से ज़्यादा रोजगार के अवसर सृजित होने, जीवाश्‍म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा की कमी आने, और 2030 तक हर साल लगभग 50 एमएमटी ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन में कमी आने की संभावना है।

 

मई 2025 तक, 19 कंपनियों को प्रति वर्ष कुल 862,000 टन ग्रीन हाइड्रोजन की संचयी वार्षिक उत्पादन क्षमता आवंटित की गई है और 15 कंपनियों को 3,000 मेगावाट सालाना इलेक्ट्रोलाइज़र बनाने की क्षमता प्रदान की गई है। भारत ने इस्पात, मोबिलिटी और शिपिंग क्षेत्रों में भी पायलट परियोजनाएँ शुरू की हैं।

 

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एनजीएचएम के अंतर्गत क्षेत्रीय नवाचार और कार्यान्वयन

 

जनवरी 2023 में आरंभ हुए राष्‍ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का प्रारंभिक परिव्‍यय वित्‍तीय वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। इसमें हरित हाइड्रोजन परिवर्तन के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप(साइट) हेतु 17,490 करोड़ रुपये, पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये, अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) के लिए 400 करोड़ रुपये और मिशन के अन्‍य घटकों के लिए 388 करोड़ रुपये शामिल हैं।

 

यह मिशन चार मुख्य स्‍तम्‍भों पर ध्‍यान केंद्रित करता है, जिनमें नीति और नियामक ढाँचा, माँग का सृजन, अनुसंधान और विकास एवं नवाचार, तथा अवसंरचना और इकोसिस्‍टम के विकास को सक्षम बनाना शामिल हैं- जिनका उद्देश्‍य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्‍पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है।

 

 

 

मिशन के विज़न को आगे बढ़ाने के लिए, सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग में तेजी लाने, घरेलू विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने, नियामक अनुपालन सुनिश्चित करने और सार्वजनिक–निजी भागीदारी को मज़बूत करने के लिए कई योजनाएं भी शुरू की हैं।

 

(i) हरित हाइड्रोजन परिवर्तन के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप (साइट) योजना: 2029-30 तक 17,490 करोड़ रुपये के परिव्‍यय वाला एक वित्‍तीय प्रोत्‍साहन तंत्र है, जो ग्रीन हाइड्रोजन के उत्‍पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रोलाइज़र के विनिर्माण के लिए प्रोत्‍साहन देता है।

 

(ii) ग्रीन हाइड्रोजन हब्‍स का विकास: अक्टूबर 2025 में, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने एनजीएचएम के अंतर्गत तीन प्रमुख बंदरगाहों – दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी (गुजरात), वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट अथॉरिटी (तमिलनाडु), और पारादीप पोर्ट अथॉरिटी (ओडिशा) को ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में मान्यता देने की घोषणा की है। ये तटीय केंद्र उत्पादन, उपयोग और भविष्य में निर्यात के लिए एकीकृत केंद्र के रूप में काम करेंगे।

 

A map of india with blue and white text

 

(iii) मानक, प्रमाणन और सुरक्षा: अप्रैल 2025 में आरंभ की गई भारत की हरित हाइड्रोजन प्रमाणन प्रणाली (जीएचसीआई) पूरे उत्‍पादन चक्र में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जनों का आकलन करके हाइड्रोजन को “ग्रीन” के रूप में प्रमाणित करने का एक राष्‍ट्रीय ढाँचा प्रदान करती है। यह योजना सुनिश्चित करती है कि केवल नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल करके और निर्धारित उत्‍सर्जन सीमा के भीतर उत्‍पादित हाइड्रोजन को ही आधिकारिक तौर पर ग्रीन हाइड्रोजन के रूप में लेबल किया जा सकता है। यह उत्‍पादकों, खरीदारों और निर्यात बाजारों के लिए पारदर्शिता, पता लगाने की क्षमता और विश्वसनीयता प्रदान करती है।

 

जीएचसीआई के अंतर्गत , भारत में किसी भी ग्रीन हाइड्रोजन उत्‍पादन सुविधा जो (ए) केंद्र या राज्य सरकारों से सब्सिडी या प्रोत्‍साहन लेती है, या (बी) हाइड्रोजन को देश में (भारत में) बेचती या इस्तेमाल करती है के लिए ‘अंतिम प्रमाणपत्र’ लेना आवश्‍यक है ।

 

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) परियोजनाओं की निगरानी और प्रमाणन करने वाली एजेंसियों को मान्यता देने के लिए उत्‍तरदायी नोडल प्राधिकरण है।

 

(iv) रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार साझेदारी (शिप): यह मिशन रणनीतिक हाइड्रोजन नवाचार साझेदारी (शिप) के माध्‍यम से अनुसंधान एवं विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देता है। इसे सरकारी संस्थानों, उद्योग और शैक्षिक संगठनों को शामिल करके सहयोगपूर्ण अनुसंधान के ज़रिए उन्‍नत, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी के विकास में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस कार्यक्रम में सरकार और उद्योग दोनों के योगदान से एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास कोष बनाना शामिल है। शिप के अंतर्गत , बीएआरसी, इसरो, सीएसआईआर, आईआईटी, आईआईएससी और अन्य साझेदारों जैसे राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थानों की ताकत का फायदा उठाने के लिए साझेदारी-आधारित अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसका उद्देश्‍य ग्रीन हाइड्रोजन मूल्‍य श्रृंखला में नवाचार को बढ़ावा देना और घरेलू विनिर्माण क्षमता में सहायता देना है।

 

इस मिशन के अंतर्गत समर्पित 400 करोड़ रुपये की एक अनुसंधान एवं विकास योजना पहले से ही हाइड्रोजन उत्‍पादन, सुरक्षा प्रणालियों, भंडारण और औद्योगिक अनुप्रयोगों जैसे क्षेत्रों में कार्यरत 23 अत्‍याधुनिक परियोजनाओं को गति दे रही है। इसके अलावा, हाइड्रोजन उत्‍पादन, भंडारण, परिवहन और उपयोग के लिए नवोन्‍मेषी प्रौद्योगिकियों पर काम करने वाले स्टार्ट-अप्स को सहायता देने के लिए प्रति परियोजना 5 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता के साथ 100 करोड़ रुपये के ‘प्रस्‍ताव के लिए आह्वान’ लॉन्च किए गए हैं। इन पहलों का उद्देश्‍य वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रौद्योगिकियाँ विकसित करना और हाइड्रोजन मूल्‍य श्रृंखला में लागत में कमी लाना है।

 

जुलाई 2025 में लॉन्च किया गया अनुसंधान एवं विकास प्रस्‍तावों का दूसरा चरण, सहयोगात्मक अनुसंधान और उद्योग की भागीदारी पर केंद्रित है, जिसमें ईयू-भारत व्‍यापार और प्रौद्योगिकी परिषद के अंतर्गत अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर 30 से ज़्यादा संयुक्‍त प्रस्‍ताव जमा किए गए हैं।

 

अपनाने के मार्ग

 

यह योजना केवल नीतियाँ बनाने और सब्सिडी देने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मुख्य क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन को भी लागू किया जा रहा है ताकि उत्‍सर्जन कम किया जा सके, घरेलू विनिर्माण को सहयोग मिले और जीवाश्‍म- आधारित हाइड्रोजन और कच्‍चे माल या फीडस्टॉक को प्रतिस्‍थापित किया जा सके। एनजीएचएम उद्योग, मोबिलिटी और अवसंरचना में हाइड्रोजन के अनुप्रयोग को आसान बना रहा है।

 

औद्योगिक

 

· उर्वरक: जीवाश्म ईंधन आधारित कच्‍चे माल को ग्रीन अमोनिया से प्रतिस्‍थापित करना। उर्वरक इकाइयों को ग्रीन अमोनिया की दीर्घकालिक आपूर्ति के लिए हाल ही में एक नीलामी हुई, जिसकी प्रति वर्ष कुल खरीद क्षमता 7.24 लाख मीट्रिक टन और कीमत 55.75 रुपये प्रति किलोग्राम तय की गई।

 

· पेट्रोलियम रिफाइनिंग: यह मिशन रिफाइनरियों में जीवाश्म –आधारित हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन से बदलने में आसानी लाने की दिशा में मदद कर रहा है, जिससे इस महत्वपूर्ण उद्योग का कार्बन फुटप्रिंट सीधे कम किया जा सके।

 

· इस्पात : आयरन रिडक्शन और अन्य प्रक्रियागत अनुप्रयोगों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल का मूल्यांकन करने के लिए सार्वजनिक और निजी इस्‍पात इस्पात निर्माताओं के सहयोग से पांच पायलट परियोजनाएँ शुरू की गई हैं । ये पायलट परियोजनाएँ भारतीय परिचालन परिस्थितियों में हाइड्रोजन आधारित इस्‍पात बनाने की तकनीकी व्यवहार्यता, आर्थिक दक्षता और सुरक्षा का आकलन करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।

 

मोबिलिटी और परिवहन

 

· सड़क परिवहन: मार्च में, 10 अलग-अलग मार्गों पर 37 हाइड्रोजन गाड़ियों (बसों और ट्रकों) और 9 रिफ्यूलिंग स्टेशनों वाली पांच बड़ी पायलट परियोजनाएँ शुरू की गईं। परीक्षण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ियों में 15 हाइड्रोजन ईंधन आधारित गाड़ियां और 22 हाइड्रोजन इंटरनल कंबशन इंजन-बेस्ड गाड़ियां शामिल हैं। इस परियोजना के लिए वित्‍तीय सहायता लगभग 208 करोड़ रुपये होगी।

 

· शिपिंग: भारत की प्रथम बंदरगाह आधारित ग्रीन हाइड्रोजन पायलट परियोजना सितंबर 2025 में वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट पर शुरू की गई। 25 करोड़ रुपये की 10 Nm³/hr की सुविधा स्ट्रीट लाइटिंग और एक ईवी चार्जिंग स्टेशन सहित स्‍थानीय अनुप्रयोगों के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का उत्‍पादन करेगी। स्‍वच्‍छ समुद्री संचालन में सहायता देने तथा कांडला और तूतीकोरिन के बीच एक कोस्टल ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर बनाने के लिए 42 करोड़ रुपये की 750 m³ ग्रीन मेथनॉल बंकरिंग और रिफ्यूलिंग सुविधा भी विकसित की जा रही है।

 

· हाई-एल्टीट्यूड मोबिलिटी: एनटीपीसी ने नवंबर 2024 में लेह में दुनिया की सबसे ऊंची (3,650 m) ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी परियोजना आरंभ की, जिसमें 5 हाइड्रोजन इंट्रा-सिटी बसें और एक फ्यूलिंग स्टेशन शामिल है, जो मुश्किल हालातों में भी ईंधन की विश्वसनीयता साबित करता है। यह स्टेशन हर साल लगभग 350 एमटी कार्बन उत्सर्जन कम करेगा और हर साल 230 एमटी शुद्ध ऑक्सीजन हवा में छोड़ेगा, जो लगभग 13000 पेड़ लगाने के बराबर है।

 

सक्षम करने वाला ढाँचा

 

· निवेश में जोखिम कम करने और विकास को तेज़ करने के लिए प्रत्‍यक्ष प्रोत्‍साहन के अलावा, एक पूरा सहयोगपूर्ण ढाँचा बनाया जा रहा है।

 

· नीतिग ढाँचा : हाइड्रोजन उत्‍पादन के लिए कम लागत वाली नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति सुगम बनाने के लिए, सरकार ने अंतरराज्‍यीय ट्रांसमिशन शुल्‍क में छूट दी है और ओपन एक्सेस की समय-सीमा के अंदर मंज़ूरी सुनिश्चित की है।

 

· कौशल विकास : समन्वित कौशल विकास कार्यक्रम लागू किया जा रहा है, जिससे पहले ही 5,600 से ज़्यादा प्रशिक्षुओं को हाइड्रोजन से जुड़ी योग्‍यताओं में प्रमाणित किया जा चुका है, जिससे भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण हो रहा है।

 

वैश्विक साझेदारियों का निर्माण

 

2024 में, भारत ने रॉटरडैम में विश्‍व हाइड्रोजन शिखर सम्‍मेलन में अपने प्रथम इंडिया पवेलियन के उद्घाटन के साथ अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोजन समुदाय में अपनी शुरुआत की। इससे भारत वैश्विक निवेश के लिए प्रमुख साझेदार और उभरती हुई वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भागीदार के तौर पर सामने आया है।

 

कौशल विकास: समन्वित कौशल विकास कार्यक्रम लागू किया जा रहा है, जिसमें ईयू-भारत सहयोग शामिल है: ईयू-भारत व्‍यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद के अंतर्गत सहयोग बढ़ रहा है, जिसमें अपशिष्‍ट से हाइड्रोजन उत्पादन पर 30 से ज़्यादा संयुक्‍त प्रस्‍ताव मिले हैं।

भारत-ब्रिटेन भागीदारी : हाइड्रोजन मानकीकरण पर सहयोग को मज़बूत करने के लिए फरवरी 2025 में एक समर्पित मानक कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें व्यापार को बढ़ाने के लिए सुरक्षित, बढ़ाए जा सकने योग्‍य और वैश्विक रूप से समन्वित नियमों, संहिताओं और मानकों (आरसीएस) पर ध्‍यान केंद्रित किया गया।

एच2 ग्‍लोबल के साथ साझेदारी: नवंबर 2024 में, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) ने बाजार-आधारित तंत्रों और संयुक्त निविदा डिज़ाइन करने के लिए जर्मनी की एच2ग्लोबल स्टिफ्टंग के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, ताकि भारत की ग्रीन हाइड्रोजन का अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में निर्यात सुगम हो सके।

सिंगापुर: अक्टूबर 2025 में, सेम्बकॉर्प इंडस्ट्रीज़ ने उत्‍पादन, भंडारण और निर्यात के लिए एकीकृत ग्रीन-हाइड्रोजन और अमोनिया हब विकसित करने के लिए वी.ओ. चिदंबरनार और पारादीप पोर्ट अथॉरिटीज़ के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।

निष्कर्ष: स्वच्छ विकास की विरासत

 

ग्रीन हाइड्रोजन भारत की स्वच्छ ऊर्जा रणनीति के केंद्र में है, जो कम-कार्बन और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की दिशा में परिवर्तन को प्रेरित कर रहा है। दुनिया के सबसे प्रतिस्पर्धी नवीकरणीय ऊर्जा आधारों में से एक पर आधारित राष्‍ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन घरेलू उत्‍पादन का विस्‍तार कर रहा है, नवाचार को बढ़ा रहा है, और ग्रीन हाइड्रोजन और उसके व्युत्पन्न उत्पादों या डेरिवेटिव्स के लिए वैश्विक बाजार खोल रहा है। यह मिशन जीवाश्‍म ईंधनों पर निर्भरता कम करता है, औद्योगिक परिवर्तन में तेजी लाता है, और भारत को वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में भरोसे के साथ नेतृत्‍व करने – स्थिर, सुरक्षित और आत्मनिर्भर भविष्य का रुख करने के लिए तैयार करता है।

 

संदर्भ

 

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2166110

 

https://mnre.gov.in/en/national-green-hydrogen-mission/

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2165811

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2129952

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2165811

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2039091

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2177591

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2125231

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2030686

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2153006

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2107795

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2164314

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2076327

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2020773

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2020510

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2100208

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2075049

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2023625

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2138051

 

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय

 

https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2025/08/20250806545556112.pdf

 

https://cdnbbsr.s3waas.gov.in/s3716e1b8c6cd17b771da77391355749f3/uploads/2023/10/202310131572744879.

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