Breaking News

श्याम प्रेमियों की टोली खाटू धाम यात्रा के लिए रवाना

 

*श्याम प्रेमियों की टोली खाटू धाम यात्रा के लिए रवाना*

फाल्गुन शुक्ल द्वादशी उत्सव भारी होए मेरे बाबा के दरबार से खाली ना जाए कोई

लखनऊ। श्री श्याम ज्योत मंडल की ओर से ऐशबाग के तिलकनगर स्थित महाराजा अग्रसेन पार्क में चल रहे तीन दिवसीय 41वां श्री श्याम निशानोत्सव का समापन हर्षोल्लास के संग संपन्न हुआ। 13 मार्च बुधवार को तिलकनगर से 40 श्याम भक्तों का जत्था बस से सीकर खाटू श्याम धाम यात्रा के लिए रवाना किया गया। ये सभी भक्त दूसरे दिन गुरुवार को राजस्थान के सीकर स्थित श्री श्याम कुंज,लखनऊ वालों की धर्मशाला पहुंचेगे। यहां से श्री श्याम ज्योत मंडल लखनऊ एवं संकट मोचन हनुमान का भव्य निशान के संग सभी श्याम भक्त अपना पीताम्बर ध्वजा लहराते हुए 17 किलोमीटर की पैदल यात्रा राजस्थान के रिंगस स्थित बाबा खाटू नरेश मंदिर के लिए निकल पड़े। 40 श्याम भक्तों का जत्था गाजे बाजे के साथ, ध्वजा लहराते पैदल यात्रा में जयश्री श्याम, हारे का सहारा, शीश का दानी, कलयुग के अवतारी की जय के जयकारे के बीच पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ बाबा श्याम को अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर निशान अर्पित करते है। इस खाटू धाम यात्रा में बहुत से श्याम भक्त पहली बार मंडल समिति के संग बाबा श्याम को निशाना चढ़ाने का सौभाग्य और आर्शीवाद प्राप्त हुआ। श्याम प्रेमी अनुपम मित्तल ने बताया कि राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। यहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ पांडव भीम के पुत्र बर्बरीक ( खाटू नरेश )की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बर्बरीक को खाटू श्याम नाम से जाना जाता है। महाभारत काल से बाबा श्याम का संबंध है। बर्बरीक के अंदर अपार शक्ति और क्षमता थी, जिससे प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का आशीर्वाद दिया था। धर्म में ध्वज को विजय का प्रतीक है। निशान को बाबा श्याम द्वारा दिया गया बलिदान और दान का प्रतीक माना गया है। क्योंकि भगवान कृष्ण के कहने पर धर्म की जीत के लिए उन्होंने अपना शीश समर्पित कर दिया था और साथ ही युद्ध की जीत का श्रेय श्रीकृष्ण को दिया था। आज भी खाटू श्याम को निशान चढ़ाया जाता है। श्याम निशान केसरिया, नारंगी और लाल रंग का होता है। श्रीकृष्ण और बाबा श्याम के मुकुट में मोर पंख होते हैं। बाबा श्याम को निशान अर्पित करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खाटू में श्याम के मस्तक और रींगस में शीश स्वरूप की पूजा की जाती है। इसी कहा गया है कि फाल्गुन शुक्ल द्वादशी उत्सव भारी होय, बाबा के दरबार से खाली जाय ना कोय। हर साल फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष में यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ो श्याम भक्त पहुंचते हैं। बाबा श्याम का पूजन अर्चन करते हैं।

 

About ATN-Editor

Check Also

इंसानियत की ख़िदमत में एक और अहम कदम, गरीबों को बांटे कंबल

इंसानियत की ख़िदमत में एक और अहम कदम, गरीबों को बांटे कंब लखनऊ। दरगाह हज़रत …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *