लखनऊ l
दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार एवं जल संचयन जनभागीदारी पुरस्कार समारोह में जालौन जनपद ने एक बार फिर पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय मंच पर महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा जालौन को जल संचयन जनभागीदारी श्रेणी में सम्मानित किया गया। यह सम्मान जिले में जनभागीदारी आधारित जल संरक्षण, नदियों के पुनरुद्धार, भूजल पुनर्भरण और सामुदायिक जल प्रबंधन में हुए अभूतपूर्व कार्यों की आधिकारिक पहचान है।
बुंदेलखंड महापरिषद के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण सहकारी संघ के निदेशक डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने जालौन के जिलाधिकारी राजेश पांडेय द्वारा किये गए अभूतपूर्व कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि जिलाधिकारी द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए नवाचार, नेतृत्व क्षमता और सामुदायिक सहभागिता पर आधारित मॉडल वास्तव में अनुकरणीय हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह जिला प्रशासन, ग्राम पंचायतों, किसानों और सामाजिक संगठनों ने मिलकर जल संचयन को एक जन-आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाया, वह न केवल जालौन बल्कि पूरे बुंदेलखंड के लिए प्रेरणा का विषय है।
जालौन जिले को यह सम्मान मुख्य रूप से नून नदी के पुनरुद्धार और उससे जुड़ी सामुदायिक जल संरक्षण गतिविधियों के लिए मिला है। लगभग 81 किलोमीटर लंबी नून नदी, जो समय के साथ सूखने और अवैध अतिक्रमणों के कारण संकट में थी, को जिला प्रशासन ने ग्रामीणों की सहभागिता और श्रमदान के माध्यम से पुनर्जीवित किया। वर्ष 2021 में शुरू हुई इस जन-आधारित परियोजना के तहत नदी की सफाई, चैनल निर्माण, अतिक्रमण हटाना, वर्षा जल को नदी की मुख्य धारा में मोड़ने के लिए ड्रेनेज बेल्ट तैयार करना तथा जलधारण क्षमता बढ़ाने के लिए कई संरचनात्मक कार्य किए गए।
नून नदी का यह पुनरुद्धार लगभग 47 गांवों को सीधे लाभान्वित कर रहा है। इसके पुनर्जीवित होने से लगभग 15,000 से अधिक किसानों को सिंचाई का स्थायी स्रोत उपलब्ध हुआ है और लगभग 2,700 हेक्टेयर कृषि भूमि को पानी मिलने की संभावना बढ़ी है। इस सामुदायिक प्रयास का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम में भी किया गया था, जिसने इस मॉडल को राष्ट्रीय पहचान दिलाई।
इसके अतिरिक्त, जालौन में जल संरक्षण को लेकर अनेक उल्लेखनीय पहलें की गईं। जनपद में 3,000 से अधिक नॉन-फंक्शनल हैंडपंपों को वॉटर रीचार्ज स्ट्रक्चर में बदला गया, जिससे भूजल स्तर में सकारात्मक सुधार दर्ज किया गया। अमृत सरोवर योजना के तहत 400 से अधिक सरोवरों का निर्माण एवं पुनरुद्धार किया गया। स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में बड़े पैमाने पर वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित की गई, जिससे हजारों छात्रों और नागरिकों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी। लगभग 7.5 लाख लोगों ने जल संरक्षण का संकल्प लिया, जो इसे देश के सबसे बड़े जन-सहभागिता आधारित अभियानों में शामिल करता है।
राष्ट्रपति द्वारा दिया गया यह सम्मान जालौन के सतत प्रयासों, सामुदायिक चेतना और प्रशासनिक संकल्प का परिणाम है। यह उपलब्धि न केवल जिले के लिए गर्व6 का क्षण है, बल्कि यह दर्शाती है कि सही नेतृत्व, जनभागीदारी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बुंदेलखंड जैसी सूखाग्रस्त भूमि को भी जल-समृद्ध बनाया जा सकता है।

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