उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिलें में सेठ आनन्दराम जयपुरिया स्कूल ने खोला दूसरा परिसर
अनिरुध शर्मा बाराबंकी ।
हम इस साल 100 बच्चों की साल भर की फीस में 25 फीसदी की छूट देने का वादा करते है इस की भरपाई हम दूसरे कारोबार से करेंगे। यें बातें सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल का शुभारंभ की प्रेसवर्ता करते हुए मुख्य अतिथि सेठ आनंदराम जयपुरिया जी०एन०आई०टी०एम०, अध्यक्ष प्रोफेस एन०एम०त्रिपाठी ने देवा रोड, बाराबंकी कैम्पस में कही।
उन्होंने कहा कि रणनीतिक रूप से देवा रोड बाराबंकी में स्थित स्कूल नरांरी से कमा 6वीं तक पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढाँचा और जूनियर और सीनियर छात्रों के लिए अच्छी तरह से संपन्न पुस्तकालय के साथ एक अत्याधुनिक परिसर संचालित होगा।
प्रोफेसर त्रिपाठी का कहना है कि शिक्षा का अर्थ केवल बच्चों के दिमाग में
भारी मात्रा में परंपरागत जानकारी डालना नहीं बल्कि मस्तिष्क को सीखने के सर्वाेत्तम अवसर प्रदान करते हुए पारंपरिक मूल्यों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया है इस स्कूल में।
उन्होंने कहा कि स्कूल के शैक्षिक पैटर्न का मुख्य सामग्री है जो युवा पीढ़ी को उनके द्वारा चुने गए करियर में अग्रणी बनाने और स्वयं परिवार समाज राष्ट्र और पूरे विश्व के प्रति सकारात्मक योगदान देने के लिए तैयार करते है।
एन०एम०त्रिपाठी-अध्यक्ष ने कहा कि सेट आनंद राम जयपुरिया स्कूल विकास की राह पर है जयपुरिया स्कूल खुलने से बाराबंकी शहर को एक सौगात मिली है इससे शहर तथा आसपास के क्षेत्र में शिक्षा का स्तर सुधरेगा
इस मौके पर सेठ आंनदराम जयपुरिया ग्रुप के पार्टनर स्कूल के वाइस प्रेसिडेंट अनिर्बान भट्टाचार्य ने कहा कि जयपुरिया ग्रुप की मुख्य भूमिका ज्ञान के हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने में मदद करना है शिक्षा में हमारे साथ सात दशकों के अनुभव के साथ हमें विश्वास है कि हम बाराबंकी के छात्रों को उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगे।
उन्होंने कहा कि देश भर में सेठ आंनदराम जयपुरिया की मुख्य विशेषता इसकी अनूठी शिक्षा व्यवस्था है जो यह सुनिश्चित करती है कि हर बच्चें की शिक्षण प्रक्रिया के केंद्र में है और जिस तरह से सीखना चाहता है हम उसी तरह से सिखाते है इससे बच्चा केवल पढाई में अव्वल नही बनता है बल्कि नई खोजों भी करता है और उनकी मूल क्षमता में तेजी के साथ विकास होता है।
इस मौके पर पूर्व जिला जज श्री पांडे ने कहा कि शिक्षा के तीन स्तर है प्राथमिक माध्यमिक और उच्चस्तर। उन्होंने कहा कि आज मांग प्राथमिक स्कूलों की हो गई है क्योंकि लोगों को समझ में आने लगा है कि यदि बच्चे की नीव कमजोर रहेगी तो उच्च शिक्षा में दिक्कतें आएगी।