लखनऊ। योग विशेषज्ञ विजया श्रीवास्तव ने कहा कि आठ मार्च का दिन महिला दिवस के रूप में स्त्रीत्व के जश्न को मनाने का मौका देता है, साथ ही महिलाओ की सशक्तिकरण की यात्रा को भी आगे बढ़ाने का दिन है, जिसमें योग एक अहम भूमिका निभाता है। यह आत्म खोज के लिए एक शाक्तिशाली उपकरण, स्वयं को बेहतर बनाने का तरीका हैं। यह केवल उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर नहीं बनाता, बल्कि शारीरिक मुद्राओ श्वास तकनीक, और ध्यान के संयोजन से शरीर और मन के बीच संबंध को बढ़ाता हैं. यह महिलाओ को स्वयं से जोड़ता है, महिलाओ के लिए योग, स्वयं को जानना, महसूस करना, अपने शरीर विचार और कार्यों की जागरुकता रखना हैं। यह महिलाओ को अपनी पहचान का पता लगाने और डर या निर्णय के बिना अपने सच्चे स्वरूप को व्यक्त करने के लिए मदद करता हैं। प्रत्येक अभ्यास आत्मखोज की यात्रा हो सकती है, जहां महिलाये अपने शरीर को सुनना और अपने अंतर्जान का सम्मान करना सीखती है। योग को अपनाने से महिलाये न केवल खुद के साथ गहरे संबंध को बढ़ावा देती हैं, बल्कि दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करती हैं। योग को अपने जीवन में एकीकृत करके आप आत्म स्वीकृति और सशक्तिकरण के द्वार खोलते हैं। योग में प्रत्येक मुद्रा, प्रत्येक श्वास और प्रत्येक क्षण उस शक्तिशाली महिला से जुड़ने का अवसर है, जो आप हैं।
योग सभी उम्र की महिलाओं के लिए फायदेमंद अभ्यास हैं, इसकी सुंदरता इसकी अनुकूलन क्षमता में निहित हैं। चाहे आप किशोरावस्था में हो, मातृत्व में हो रजोनिवृति की चुनौतियों का सामना कर रही हो, योग आपको अनुकूलित अभ्यास प्रदान करता है, जो जीवन के प्रत्येक चरण में लाभकारी है।
योग के विभिन्न आसनों में जब हम अपने शरीर को विभिन्न आकृतियों और मुद्राओ में लाते हैं, तब न केवल हम एक मजबूत शरीर का निर्माण करते है, बल्कि सचेतना का भी विकास करते हैं। यह हमारे अंदर आत्मविश्वास और सशक्तिकरण को बढ़ावा देता हैं। महिलाये अक्सर भावनात्मक बोझ से दबी रहती है। जो शारीरिक तनाव और बेचैनी का कारण बनता हैं। योग श्वास क्रिया और माइंडफुलनेस को एकीकृत करके इन दबी हुई भावनाओ को मुक्त करता हैं। जिससे मन और शरीर को नई जीवंतता मिलती है। योग का अभ्यास महिलाओ के जीवन में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शक्ति प्राप्त करने का दृष्टिकोण प्रदान करता हैं जिससे वह साहस और सहजता के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सशक्त बनती है।
आज भी कई महिलाओ को अपनी शारीरिक छवि और सामाजिक दबाबों का सामना करना पड़ता है जिससे उनमे असुरक्षा की भावना आ जाती हैं। योग महिलाओ को अपने शरीर, भावनाओ और आंतरिक ज्ञान का सम्मान करना सिखाता है। जैसी वह है, उसी रूप में। प्रत्येक खिचाव और प्रत्येक श्वास के साथ अपने शरीर को अपनाना और सहराना करना सीखती है। आत्मस्वीकृति को बढ़ावा मिलता है, यह स्वीकृति ही सशक्तिकरण हैं, जो महिलाओ को अपने शरीर और आकार में नारीत्व को अपनाने में मदद करता है।
योग को अपने जीवन में शामिल करने के लिए बहुत ज्यादा समय की जरूरत नहीं होती। हर दिन कुछ मिनट की सचेत क्रियाएँ और श्वास पर ध्यान देने से भी फरक पड़ता है। मुख्य बात यह है की आप निरंतरता के साथ इस योगिक
सशक्तिकरण की यात्रा में आगे बढ़ती रहे, आइए, आज से ही अपनी इस योगिक यात्रा का शुरुआत करे।