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भारत जैसे विशाल और कृषि-प्रधान देश को वैश्विक बीज मार्केट में एक बड़ा हिस्सा हासिल करने का एक समयबद्ध लक्ष्य रखना चाहिए- अमित शाह

आने वाले दिनों में भारत में बीज संरक्षण, संवर्धन और अनुसंधान के क्षेत्र मे बीबीएसएसएलडीएस का बहुत बड़ा योगदान होगा

बीबीएसएसएलडीएस का मुनाफा सीधे बीज उत्पादन करने वाले किसानों के बैंक खातों में जाएगा

 

पूजा श्रीवास्तव

विश्व में बीजों के निर्यात का बहुत बड़ा मार्केट है और इसमें भारत का हिस्सा एक प्रतिशत से भी कम है, भारत जैसे विशाल और कृषि-प्रधान देश को वैश्विक बीज मार्केट में एक बड़ा हिस्सा हासिल करने का एक समयबद्ध लक्ष्य रखना चाहिए। यें बातें बीबीएसएसएलडीएस का लोगों और वेबसाइट और ब्राउशर का अनावरण व सदस्यों को सदस्यता प्रमाणपत्र भी वितरित करते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में कही।

उन्होंने कहा कि देश के हर किसान को आज वैज्ञानिक रूप से बनाया और तैयार किया गया बीज उपलब्ध नहीं है, इसीलिए ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि इस विशाल देश के हर किसान के पास प्रमाणित और वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया बीज पहुंचे और ये काम भी यही सहकारी समिति करेगी।

 

श्री शाह ने कहा कि भारत दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में से एक है जहां कृषि की अधिकृत शुरूआत हुई और इसी कारण हमारे परंपरागत बीज गुण और शारीरिक पोषण के लिए सबसे अधिक उपयुक्त हैं। उन्होंने कहा कि भारत के परंपरागत बीजों का संरक्षण कर उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है, जिससे स्वास्थ्यपूर्ण अन्न, फल और सब्ज़ियों का उत्पादन निरंतर होता रहे और यह काम बीबीएसएसएल करेगी।
उन्होंने कहा कि हमारे यहां उत्पादित होने वाले बीज कमोबेश विदेशी तरीकों से शोध एवं विकास करके बनाए गए हैं, लेकिन हमारे कृषि वैज्ञानिकों को अगर एक अच्छा प्लेटफॉर्म मिले तो वे विश्व में सबसे अधिक उत्पादन करने वाले बीज बना सकते हैं, और इस शोध एवं विकास का काम भी सहकारिता करेगी।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के निर्देशानुसार 11 जनवरी, 2023 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड की स्थापना को मंज़ूरी दी, 25 जनवरी, 2023 को इसका पंजीकरण हुआ, 21 मार्च, 2023 को इसकी अधिसूचना जारी हुई और अब प्रशिक्षण का कार्यक्रम भी हमने बहुत कम समय में कर लिया है। उन्होंने कहा कि ये समिति कृषि, बागवानी, डेयरी, मत्स्यपालन सहित हर प्रकार की समितियों की तरह च्।ब्ै को बीज उत्पादन के साथ जोड़ने का काम करेगी। च्।ब्ै के माध्यम से हर किसान अपने खेत में बीज उत्पादन कर सकेगा, इसका सर्टिफिकेशन भी होगा और ब्राडिंग के बाद ना सिर्फ पूरे देश बल्कि विश्व में इस बीज को पहुंचाने में ये समिति योगदान देगी। उन्होंने कहा कि इस बीज सहकारी समिति का पूरा मुनाफा सीधे बीज उत्पादन करने वाले किसानों के बैंक खातों में जाएगा और यही सहकारिता का मूल मंत्र है। इस सहकारी समिति के माध्यम से बीजों की उच्च आनुवांशिक शुद्धता और भौतिक शुद्धता से बिना कोई समझौता किए इन्हें बरकरार रखा जाएगा और उपभोक्ता के स्वास्थ्य की भी चिंता की जाएगी, इन तीनों बातों का संयोजन करते हुए उत्पादन बढ़ाना ही हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि इस सहकारी समिति का लक्ष्य केवल मुनाफा कमाना नहीं है बल्कि इसके माध्यम से हम विश्व की औसत पैदावार के साथ भारत की पैदावार को मैच करना चाहते हैं। इसके साथ ही उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के अकुशल उत्पादन की जगह किसान को प्रशिक्षण देकर वैज्ञानिक तरीके से बीजों के उत्पादन के साथ हम जोड़ने का काम करेंगे। आज भारत में ही बीजों की आवश्यकता लगभग 465 लाख क्विंटल है, जिसमें से 165 लाख क्विंटल सरकारी व्यवस्था से उत्पादित होता है और कोऑपरेटिव व्यवस्था से ये उत्पादन 1 प्रतिशत से भी नीचे है, हमें इस अनुपात को बदलना होगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस संस्था के मूल में इफको, कृभको, नेफेड, एनडीडीबी और एनसीडीसी को जोड़ा गया है जो एक प्रकार से किसान के खेत तक पहुंच रखती हैं।इन संस्थाओं के माध्यम से मल्टीफिकेशन बंद हो जाएगा और सभी सहकारी संस्थाएं एक ही दिशा में एक ही लक्ष्य के साथ एक ही रोड मैप पर काम करेंगी। उन्होंने कहा कि जब सभी संस्थाएं एक रोड मैप पर चलती हैं तो स्वाभाविक रूप से गति बढ़ती है और इनके साथ मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव, राज्यस्तरीय सहकारी संस्थाएं, जिलास्तरीय सहकारी संस्थाएं और पीएसीएस भी जुड़ सकेंगे। इस तरह एक ऐसा खाका बनाया गया है जिसमें हर प्रकार की कोऑपरेटिव इसका हिस्सा बन सकती है और उनका सहयोग इस बीज कोऑपरेटिव को मिल सकेगा। श्री शाह ने कहा कि सहकारी नेटवर्क के माध्यम से प्रोडक्शन, टेस्टिंग, सर्टिफिकेशन, परचेज, प्रोसेसिंग, स्टोरेज, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग और एक्सपोर्ट हम कर सकेंगे क्योंकि अगर बीजों का प्रोडक्शन के बाद टेस्टिंग नहींहोगी, तो गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। इसी प्रकार टेस्टिंग के बाद सर्टिफिकेशन नहीं होता है तो विश्वसनीयता नहीं होगी, सर्टिफिकेशन के बाद प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग और लेबलिंग नहीं होगी, तो उसके उचित दाम नहीं मिलेंगे। इसकी उचित वैज्ञानिक तरीके से स्टोरेज से लेकर मार्केटिंग और फिर दुनिया के बाजार में भेजने तक की पूरी व्यवस्था कोऑपरेटिव सेक्टर के माध्यम से ही की जाएगी। ये पूरी व्यवस्था विश्वस्तरीय और सबसे आधुनिक होगीऔर हमारी कोऑपरेटिव ने करके दिखाया है।

 

श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के इनीशिएटिव से श्री अन्न (मिलेट्स) का जो बड़ा मार्केट आज विश्व में खड़ा हुआ है, इसके बीज भारत के अलावा बहुत कम देशों के पास हैं। रागी, बाजरा, ज्वार और कई अन्य मिलेट्स पर हमारी मोनोपली हो सकती है, अगर हमारी यह बीज कोऑपरेटिव इस पर ध्यान दे।

देश की तीन प्रमुख सहकारी समितियों- इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड , कृषक भारती सहकारी लिमिटेड और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ तथा भारत सरकार के दो प्रमुख वैधानिक निकाय- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम ने संयुक्त रूप से बीबीएसएसएल को प्रमोट किया है।
इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा, सचिव, सहकारिता मंत्रालय और सचिव, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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