हिंदी विश्वविद्यालय में ‘लोकतंत्र में कानून का महत्व’ विषय पर हुआ विशिष्ट व्याख्यान
टीटू ठाकुर
कानून का सम्मान करने से ही लोकतंत्र मजबूत होगा। लोकतंत्र और कानून एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। यें बातें ‘लोकतंत्र में कानून का महत्व’ विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता पूर्व न्यायमूर्ति एवं मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सी. एल. थूल ने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में कही।
डॉ. थूल ने विभिन्न मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी भी व्यवस्था या समाज को उंचाईयों पर ले जाने तथा लक्ष्य हासिल करने के लिए अनुशासन महत्वपूर्ण है। अनुशासन बनाए रखने के लिए कानून बनाने की जरूरत पडती हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समता, न्याय एवं बंधुता का महत्वपूर्ण उल्लेख किया गया हैं। हमें इन तत्वों पर चलकर देश को आगे ले जाने की जरूरत है। उन्होंने मानवाधिकार का जिक्र करते हुए कहा कि अन्य का सम्मान ही मानवाधिकार का मुख्य आधार है। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. एल. कारुण्यकरा ने कहा कि कानून की रक्षा करना बुद्धिजीवियों का काम है। संचार और तकनीकी क्रांति के इस युग में लोकतंत्र के सामने कृत्रिम बौद्धिकता, मानवी रोबोट और सोशल मीडिया की चुनौतियाँ हैं। कार्यक्रम में विधि विभाग के विद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासाएं प्रगट की।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. कारुण्यकरा ने डॉ. थूल का स्वागत सूतमाला, शाल एवं विश्वविद्यालय का प्रतीक चिन्ह देकर किया। स्वागत वक्तव्य एवं अतिथि का परिचय विधि विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. जनार्दन कुमार तिवारी ने प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का संचालन विधि विभाग की अतिथि अध्यापक डॉ. दिव्या शुक्ला ने किया तथा राजनीतिशास्त्र विभाग के अतिथि अध्यापक डॉ. विजय कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का प्रारंभ विश्वविद्यालय के कुलगीत से तथा समापन राष्ट्रगान से किया गया। कार्यक्रम में अधिष्ठातागण, विभागध्यक्ष, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।