उद्योगों की समस्याओं के समाधान के लिए आई0आई0ए0 द्वारा सरकार को ज्ञापन
पूजा श्रीवास्तव
2.5 पीएम में उद्योगो का महज 11 फीसदी का जिम्मेदार होता है जबकि धूल, गाड़ियों से उत्पन्न धुआं और घरों से जलने वाले ईधन का धुआं प्रदूषण के लिए 69 फीसदी प्रभाव रखता है उसके बावजूद उद्योग पर ही सरकार का हंटर चलता है।ये बातें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबन्धन आयोग के निर्देशों से उद्योगों में बेचैनी की वजह से भारतीय इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने जारी ज्ञापन में कही।
उन्होंने कहा कि इण्डियन इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन (आई0आई0ए0) सभी उद्यमियों एवं सरकार के साथ मिलकर इस 11फीसदी भाग को भी कम करने के लिए प्रयासरत है। जिसके लिए आई0आई0ए0 द्वारा वायु गुणवत्ता प्रबन्धन आयोग, दिल्ली, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त उ0प्र0 एवं अपर मुख्य सचिव,एमएसएमई उत्तर प्रदेश को सूचित किया है कि यद्यपि वायु प्रदूषण में उद्योगों का योगदान बहुत कम है फिर भी आई0आई0ए0 एवं उद्यमी इसे और कम करने के लिए कृत संकल्प है यदि उद्योगों की कुछ व्यवहारिक कठिनाईयों का समाधान करने में सरकार सहयोग करे। उद्योगो के समक्ष सबसे बड़ी समस्या अपने डीजल जनरेटरों को सीएक्यूएम के निर्देशानुसार डयूल फयूल मोड में बदलने की है जिसके लिए 7 लाख रूपये से लेकर 20 लाख रूपये का खर्च आता है जिसे लघु उद्योगो द्वारा वहन करना सम्भव नही है।
इस परिस्थिति में निर्बाध विद्युत सप्लाई नही मिलने के कारण उद्योगों में कुछ समय के लिए डीजल जनरेटर चलाना मजबूरी हो जाता है। इसके अतिरिक्त यदि उद्योग अपने ईधन को गैस में परिवर्तित करना भी चाहे तो गैस की कीमत बहुत अधिक है। इन परिस्थितियों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी उद्योगों को बन्द करने के आदेश जारी कर देते है।
इस समस्या के समाधान हेतु आई0आई0ए0 के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल, द्वारा सीएक्यूएम एवं उत्तर प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि उपरोक्त परिस्थिति में उद्योगों को बन्द करना समस्या का समाधान नही है, क्योंकि इससे बेरोजगारी बढ़ेगी और काफी आर्थिक नुकसान भी होगा जिससे उद्यमियों और सरकार दोनों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी।