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राजस्व निरीक्षक के 1886 व नायब तहसीलदार के 307 पद बढाने एवं नियमावली संशोधन के प्रस्ताव

 

अध्यक्ष राजस्व उ प्र लखनऊ की अध्यक्षता में राजस्व परिषद के सभागार में उ प्र लेखपाल संघ के प्रतिनिधि मण्डल के साथ लेखपाल संघ की मांगो एवं समस्याओ के सम्बन्ध में लगभग दो घंटे तक तक चली बैठक में विस्तृत चर्चा हुई । बैठक में अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त/ओ एस डी , अनुभाग 4 के अनुभाग अधिकारी एवं समीक्षा अधिकारी तथा उ प्र लेखपाल संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम मूरत यादव , महामंत्री विनोद कश्यप, उपाध्यक्ष पूर्वी जोन धनन्जय श्रीवास्तव, संगठन मंत्री पश्चिमी जोन नीरज राठौर, संगठन मंत्री मध्य जोन मनीष पाठक , प्रदेश कोषाध्यक्ष सुजीत सिकन्दर उपस्थित रहे। बैठक में मा अध्यक्ष जि द्वारा निम्न बिन्दुओं पर सकारात्मक निर्णय / निर्देश दिए गये-*

 *1- राजस्व निरीक्षक के 1886 व नायब तहसीलदार के 307 पद बढाने एवं नियमावली संशोधन के प्रस्ताव तथा मोटर साईकिल भत्ता रु 1500 प्रति माह करने के शासन में लम्बित प्रस्ताव को मा 0 मुख्यमंत्री जी से वार्ता कर शीघ्र पूर्ण करवाने का आश्वासन दिया गया।*

*2- प्रदेश में लगभग 1500 से 2000 लेखपालो को उनके गृह जनपदो मे स्थानान्तरित करने के लिए आगामी स्थानान्तरण सत्र मे अंतर्मंडलीय स्थानांतरण करने का निर्देश दिया गया है।*

*3- लेखपाल पदनाम परिवर्तन, वेतन उच्चीकरण ( ग्रेड पे 2800 ), स्टेशनरी भत्ता रु 750/, विशेष वेतन भत्ता रु1500/ करने के प्रस्ताव को शीघ्र शासन को भेजने तथा पेंशन विसंगति से पीडित लेखपालो की जी पी एफ कटौती के विकल्पो पर शासन का अनुमोदन शीघ्र प्राप्त करने के निर्देश दिए गये।*

*4- द्वितीय शनिवार एवं रविवार तथा सार्वजनिक अवकाश में लेखपालो की ड्यूटी किसी आपदा की स्थिति के अतिरिक्त न लगाने पर सहमति व्यक्त की गई, इसके सम्बंध में समस्त जिला अधिकारियों को निर्देश निर्गत करने तथा द्वितीय शनिवार का थाना समाधान दिवस बदलने के लिए शासन को पत्र प्रेषित करने के निर्देश दिए गये।*

*5- ए सी पी विसंगति एवं खसरा खतौनी उद्धरहण शुल्क की मांग पर सैद्धांतिक सहमति व्यक्त करते हुए विस्तृत दिशा निर्देश देने का आश्वासन दिया गया।*

*6- जनपदो में लेखपालो एवं राजस्व निरीक्षको के साथ हो रही मारपीट अभद्रता आदि घटनाओ के सम्बंध में जिला अधिकारियों को प्रभावी कारवाई सुनिश्चित करने के निर्देश तथा किसी सरकारी कार्य के सम्पादन के कारण किसी भी लेखपाल/राजस्व निरीक्षक के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने, पूर्व से दर्ज एफ आई आर में विवेचना शुरू करने के पूर्व विभागीय जांच अनिवार्य होगी और विभागीय जांच में क्रिमनल कृत्य पाए जाने पर ही नियुक्ति प्राधिकारी की अनुमति के बाद एफ आई आर/विवेचना/अभियोजन की कारवाई हो सकेगी।इस सम्बंध में समस्त जिला अधिकारियों एवं प्रमुख सचिव गृह और प्रमुख सचिव न्याय को परिषद से पत्र भेजने के निर्देश दिए गये।*

*7- लेखपालो की संवर्गीय समस्याओ के समाधान हेतु आनलाईन पोर्टल की व्यवस्था के निर्देश भी दिए गये है ।*

*8- चयन वर्ष 2024-25 के सत्र मे लेखपाल से राजस्व निरीक्षक पद पर पदोन्नत लेखपालो को जनवरी 2025 में प्रशिक्षण में भेजने का निर्णय लेते हुए सम्बन्धित को शीघ्र कार्यवाही हेतु निर्देश दिए गये है।*

9- *गाजीपुर के 16 तथा प्रदेश के समस्त मृतक आश्रित लेखपालो के प्रशिक्षण के सम्बंध में भी एक सप्ताह में निर्णय लेने के निर्देश दिए गये।* *10- लेखपालों को अपने क्षेत्र में कार्यालय के रूप में ग्राम पंचायत भवन में एक कमरा उपलब्ध कराया जाएगा जिससे जनता से मिलने का एक नियत स्थान हो सके। इस सम्बन्ध में मा अध्यक्ष महोदय द्बारा शासन को पत्राचार करने के निर्देश दिए गये।*

*11- रात्रि निवास के सम्बंध में भी मा 0 अध्यक्ष महोदय को अवगत कराया गया कि वर्तमान समय में हल्के में रात्रि निवास किसी भी दशा में संभव नही है। जन्म मृत्यु पंजीकरण रजिस्ट्रार के सम्बंध में मा. अध्यक्ष महोदय को भारत सकार के एक्ट एवं उ प्र सरकार की नियमावली के साथ स्पष्ट कर दिया गया है कि गाँव में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी तथा नगर में नगर स्वास्थ अधिकारी जन्म मृत्यु पंजीकरण रजिस्ट्रार होते है, लेखपाल नही। मा 0 अध्यक्ष महोदय को जनगणना विभाग द्वारा मिसफीड किया गया था जो स्पष्ट कर दिया गया है। मा. अध्यक्ष महोदय द्वारा अवगत कराया गया है कि पंचायत विभाग को बुला कर प्रेजेंटेशन देखा गया है, कुछ समस्याओ के निराकरण के पश्चात मृत्यु प्रमाण पत्र एवं परिवार रजिस्टर को अविवादित विरासत पोर्टल से लिंक किया जाएगा तथा खतौनी में गाटे भी आधार से लिंक किए जाएंगे। उन्होने यह भी स्वीकार किया कि अब अतीत की परम्परा अनुसार विरासत अभियान में खतौनी पढने का औचित्य नही है अपितु सम्बंधित व्यक्ति अपना आवेदन खुद करे और उसमे अंकित मृत्यु दिनांक के लिए स्वंय जिम्मेदार होगा। बाहरी निवासी खातेदारो की सही जांच न होने की स्थिति में तहसीलदार न्यायालय को प्रेषित कर दी जाए। उनका स्पष्ट कहना था कि असंगत/अस्पष्ट कारण दिखा कर अनावश्यक निरस्त न किए जाए, यदि समुचित कारण है तो तहसीलदार न्यायालय को प्रेषित कर दिया जाए।*

*मा. अध्यक्ष महोदय द्वारा संवर्ग की मांगो के सम्बंध में एक बैठक शासन स्तर पर भी शीघ्र ही रखवाने हेतु परिषद से पत्र भेजने के निर्देश दिए गये।*

 

 

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