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ट्रांसजेंडर बच्चों को भी प्रेम, शिक्षा और समान अवसर दिए जाएँ, तभी एक समावेशी और सशक्त भारत का निर्माण संभव है-राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

राज्यपाल ने ’ब्रेकिंग बैरियर्सः वीमेन इन लीडरशिप एंड एंटरप्रेन्योरशिप’ सम्मेलन का उद्घाटन किया

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राज्यपाल ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली 14 महिला उद्यमियों को सम्मानित किया

 

ग्रामीण क्षेत्रों की उन महिलाओं को भी सम्मानित किया जाए जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने परिश्रम, साहस और नवाचार से समाज में परिवर्तन ला रही हैं

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महिलाएँ आज सभी प्रकार की बाधाओं को पार कर आगे बढ़ रही हैं, केवल उन्हें जागरूक करने और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाने की आवश्यकता है

वह दिन दूर नहीं जब देश के सर्वोच्च पदों पर सिर्फ महिलाएं ही दिखाई देंगी


पूजा श्रीवास्तव,लखनऊ

 

प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ के एक निजी होटल में इंडो-अमेरिकन चेम्बर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित “ब्रेकिंग बैरियर्स – वीमेन इन लीडरशिप एंड एंटरप्रेन्योरशिप“ विषयक कॉन्फ़्रेन्स का उद्घाटन किया।

  • इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली 14 महिला उद्यमियों को सम्मानित भी किया। राज्यपाल जी ने सम्मानित महिलाओं की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि उनके कार्य अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। भविष्य में जब भी इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएँ, तो ग्रामीण क्षेत्रों की उन महिलाओं को भी सम्मानित किया जाए जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने परिश्रम, साहस और नवाचार से समाज में परिवर्तन ला रही हैं।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने महिला नेतृत्व और उद्यमिता के क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक परिवर्तनों की सराहना करते हुए कहा कि महिलाओं आज प्रत्येक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं और दूसरों को भी रोजगार प्रदान कर रही हैं। उन्होंने उपस्थित जनों से आह्वान किया कि संकल्प लें कि महिलाओं को प्रशिक्षण, सुरक्षा, रोजगार उपलब्ध कराएंगे और उनके बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसर प्रदान करने में सहायक बनेंगे। उन्होंने गुजरात राज्य में महिलाओं के कल्याण हेतु किए गए कार्यों का उदाहरण देते हुए बताया कि वहाँ महिलाओं के नाम पर प्लॉटों का आवंटन किया गया, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनने का अवसर मिला। प्लॉटों का एकीकरण कराकर विद्यार्थियों को आवंटित किया गया जहाँ आईटी क्षेत्र के विद्यार्थी नवाचार करते हैं और अन्य युवाओं को भी प्रशिक्षण और रोजगार प्रदान करते हैं। राज्यपाल जी ने बल देते हुए कहा कि हमें सभी को साथ लेकर चलने की आवश्यकता है। यदि हम किसी की उँगली पकड़कर उसे सही दिशा में ले जाएँ, तो वह बहुत आगे तक पहुँच सकता है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं को स्वयं भी अपनी सुरक्षा के प्रति सतर्क रहना चाहिए और इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उनका कोई शोषण न कर सके। महिलाएँ आज सभी प्रकार की बाधाओं को पार कर आगे बढ़ रही हैं, केवल उन्हें जागरूक करने और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाने की आवश्यकता है।

राज्यपाल जी ने बताया कि जब वे जिलों में भ्रमण करती हैं तो प्रशासनिक समीक्षा बैठकों के साथ-साथ विद्यालयों और आंगनबाड़ियों का भी निरीक्षण करती हैं। आंगनबाड़ियों में पोषक आहार और आवश्यक सुविधाएँ पहुँचाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। समाज भी अब आगे आ रहा है और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है, आवश्यकता केवल उनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देशन की है।

राज्यपाल जी ने यह भी बताया कि उन्होंने प्रदेश की आंगनबाड़ियों को विश्वविद्यालयों से जोड़ने की पहल की है और “केजी टू पीजी“ का सिद्धांत प्रस्तुत किया है। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में आंगनबाड़ियों को सशक्त बनाने हेतु किट प्रदान की जाती है, जिससे वहाँ पढ़ने वाले बच्चों का समुचित विकास हो सके। अब तक 35000 से अधिक आंगनबाड़ियों में यह किटें विश्वविद्यालयों और समाज के सहयोग से भेजी जा चुकी हैं, जो बच्चों के पोषण, शिक्षा और संपूर्ण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

राज्यपाल जी ने कहा कि प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा बेटियों को एचपीवी वैक्सिन दिलाने का कार्य किया जा रहा है। यह कार्य विश्वविद्यालयों तथा समाज के सहयोग से संचालित हो रहा है। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से आग्रह किया कि सभी आज यह संकल्प लेकर जाएँ कि वे एक-एक बच्ची को गोद लेकर उसका एचपीवी वैक्सीनेशन अवश्य कराएँगे। जब एक माँ की मृत्यु कैंसर के कारण हो जाती है, तो उसका दुष्प्रभाव पूरे परिवार विशेषकर बच्चों के विकास पर पड़ता है, अतः ऐसी बीमारियों से बचाव के लिए जन-जागरूकता और सामूहिक प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं।

राज्यपाल जी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री जी ने देश में नशा विरोधी अभियान को गति देने के लिए साइकिल यात्रा की बात की है। वे निरंतर विकसित भारत की कल्पना को साकार करने हेतु युवाओं, बच्चों और महिलाओं से संवाद करते हैं तथा आतंकवाद जैसी बुराइयों से लड़ते हैं। हम सभी की भी यह सामूहिक जिम्मेदारी है कि समाज में व्याप्त बुराइयों के विरुद्ध सतर्क रहें, जागरूकता फैलाएँ और उन्हें समाप्त करने के लिए ठोस प्रयास करें। उन्होंने कहा कि सरकार योजनाएं बनाती है, बजट देती है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि योजनाओं का वास्तविक लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे।

उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय के सशक्तिकरण की दिशा में भी निर्देश देते हुए कहा कि उद्यमियों को चाहिए कि वे अपने यहाँ ट्रांसजेंडरों को रोजगार दें और उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करें। इससे न केवल उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में मदद मिलेगी, बल्कि उनके परिवार और समाज भी उन्हें स्वीकार करने लगेंगे। उन्होंने जानकारी दी कि काशी और बस्ती जनपदों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को जिलाधिकारी द्वारा प्रशिक्षण दिलाकर रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। यह एक अनुकरणीय प्रयास है, जिसे अन्य जनपदों में भी अपनाया जाना चाहिए।

राज्यपाल जी ने ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति समाज में व्याप्त पूर्वग्रहों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जैसे अनाथालयों में अन्य बच्चे रहते हैं, उसी प्रकार यदि कोई ट्रांसजेंडर बच्चा जन्म लेता है और उसका परिवार उसे अस्वीकार कर देता है, तो ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि वह बच्चा भी सामान्य बच्चों के साथ ही अनाथालय में रहकर शिक्षा प्राप्त करे, बड़ा हो और समाज में सम्मानजनक जीवन जी सके। ट्रांसजेंडर होना उस बच्चे की कोई गलती नहीं है, बल्कि हमारी सामाजिक सोच की कमी है कि हम उन्हें स्वीकार नहीं करते। वसुधैव कुटुंबकम की सच्ची भावना तभी साकार होती है जब हम सबको चाहे वे किसी भी लिंग, वर्ग या परिस्थिति से हों सम्मानपूर्वक साथ लेकर चलेंगे। ट्रांसजेंडर बच्चों को भी प्रेम, शिक्षा और समान अवसर दिए जाएँ, तभी एक समावेशी और सशक्त भारत का निर्माण संभव है।

राज्यपाल जी ने समाज के वंचित वर्गों की शिक्षा और सामाजिक समावेशन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि मुसहर समाज के बच्चों को भी शिक्षा से जोड़कर मुख्यधारा में लाना अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे समाज के हर वर्ग को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के कुछ जिलों में जिलाधिकारियों द्वारा इस दिशा में सराहनीय कार्य किए गए हैं। उदाहरणस्वरूप, मुसहर समुदाय के बच्चों को विद्यालय भेजने हेतु उन्हें साइकिलें प्रदान की गईं, और महिलाओं को सिलाई मशीनें देकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया गया। उन्होंने ने समाज के जागरूक नागरिकों, उद्यमियों और संस्थाओं से आह्वान किया कि वे ऐसे समुदायों के उत्थान में सक्रिय भूमिका निभाएँ। सबको साथ लेकर समाज को आगे बढ़ाने का प्रयास करें।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में यह देखकर अत्यंत गर्व होता है कि बेटियाँ प्रत्येक क्षेत्र में आगे आ रही हैं और उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। वह दिन दूर नहीं जब देश के सर्वोच्च पदों पर महिलाएं ही दिखाई देंगी। महिलाएं स्वभाव से संवेदनशील होती हैं, वे अच्छे निर्णय लेती हैं और कार्य को समर्पण भाव से पूरा करती हैं। उत्तर प्रदेश के 9 राज्य विश्वविद्यालयों में महिलाएं कुलपति के रूप में अत्यंत उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं। भारत को विश्व का सर्वश्रेष्ठ देश बनाने के लिए हम सबको एकजुट होकर निरंतर परिश्रम करना होगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के उद्यान, कृषि एवं विपणन मंत्री श्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने अपने जीवन में हर प्रकार की बाधाओं को पार करते हुए यह ऊँचा मुकाम हासिल किया है। वे समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। आज देश और प्रदेश में महिलाओं की प्रगति के मार्ग में कोई बैरियर शेष नहीं रह गया है। केंद्र सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अनेक योजनाएं और अवसर प्रदान किए हैं, जिससे महिलाएं शिक्षा, स्वरोजगार, राजनीति और अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान सदा से ही गौरवपूर्ण रहा है। प्रत्येक युग में नारी ने अपनी भूमिका को सिद्ध किया है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रसिद्ध लोकगायिका एवं पद्मश्री सम्मानित मालिनी अवस्थी ने कहा कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल जी ने उस दौर में शिक्षा प्राप्त की, जब लड़कियों के लिए शिक्षा प्राप्त करना अत्यंत दुर्लभ और चुनौतीपूर्ण था। उस कठिन समय में उन्होंने न केवल शिक्षा ग्रहण की, बल्कि शिक्षा का प्रसार भी किया, राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और समाज परिवर्तन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया। राज्यपाल जी ने समाज में व्याप्त सभी प्रकार की रूढ़ियों और बाधाओं को तोड़ते हुए महिला सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त किया है। वे एक ऐसी प्रेरणास्रोत हैं जिन्होंने नारी की क्षमता और शक्ति को चरितार्थ कर दिखाया है। ’समाज की वास्तविक पोषिका स्त्रियां ही हैं।’ यदि स्त्रियां जागरूक, शिक्षित और सशक्त होंगी, तो समाज स्वतः ही सशक्त, संवेदनशील और समृद्ध बनेगा।

इस अवसर पर उद्यान, कृषि विपणन, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उत्तर प्रदेश सरकार  दिनेश प्रताप सिंह, पद्मश्री मालिनी अवस्थी, समाजसेविका नम्रता पाठक, पूर्व नेषनल प्रेसिडेंट आई0ए0सी0सी0, डॉ0 ललित भसीन जी, सेमिनार की संयोजक  स्वाति सिंह, चेयरमैन आई0ए0सी0सी0 रीना सिंह, डॉ0 उपासना अरोड़ा, कशिश त्यागी, इंडो-अमेरिकन चेम्बर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारीगण, उद्यमी महिलाओं सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।

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