रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने मस्कट में 12वीं भारत-ओमान संयुक्त सैन्य सहयोग समिति की बैठक की सह-अध्यक्षता की
पूजा श्रीवास्तव
रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने मस्कट में ओमान के रक्षा मंत्रालय के महासचिव डॉ. मोहम्मद बिन नसीर बिन अली अल ज़ाबी के साथ 12वीं संयुक्त सैन्य सहयोग समिति (जेएमसीसी) की बैठक की सह-अध्यक्षता की।
इस बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने भारत और ओमान के बीच मजबूत रक्षा सहयोग की समीक्षा की और सराहना की। जेएमसीसी बैठक में प्रशिक्षण, संयुक्त अभ्यास, सूचना साझा करने, समुद्र विज्ञान, जहाज निर्माण और एमआरओ के क्षेत्र में सहयोग के कई नए क्षेत्रों पर चर्चा हुई, जो दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी विश्वास और संचालनीयता का निर्माण करेगी। इसके अलावा, उन्होंने साझे हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योगों के सहयोग पर ध्यान देने के साथ द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और बढ़ावा देने के लिए प्रभावी और व्यावहारिक पहल पर चर्चा की।
दिसंबर 2023 में ओमान सल्तनत के प्रमुख सुल्तान हैथम बिन तारिक की यात्रा के दौरान अपनाए गए भविष्य के लिए साझेदारी शीर्षक वाले भारत-ओमान संयुक्त विज़न दस्तावेज़ को लागू करने की दिशा में रक्षा सचिव और महासचिव ने रक्षा सामग्री और उपकरणों की खरीद से संबंधित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह ज्ञापन रक्षा सहयोग के एक नए क्षेत्र के लिए एक रूपरेखा प्रदान करेगा।
ओमान की दो दिवसीय यात्रा के दौरान रक्षा सचिव ने महासचिव के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की। वार्ता के दौरान गिरिधर अरमाने ने क्षमता और इसके साथ घरेलू रक्षा उद्योग की क्षमता पर प्रकाश डाला तथा ओमान के सशस्त्र बलों के साथ एक उपयोगी साझेदारी की आशा व्यक्त की। ओमान पक्ष ने भी भारतीय रक्षा उद्योग की क्षमता पर भरोसा व्यक्त किया।
रक्षा सचिव ने महासचिव और उनके प्रतिनिधिमंडल को विशेष रूप से एयरोस्पेस और समुद्री क्षेत्रों में रक्षा औद्योगिक क्षमता का अवलोकन करने के लिए भारत आने के लिए आमंत्रित किया।
रक्षा सचिव ने ओमान सल्तनत के रक्षा मंत्रालय के महासचिव डॉ. मोहम्मद बिन नसीर बिन अली अल ज़ाबी के आमंत्रण पर 30-31 जनवरी 2024 तक ओमान का दौरा किया है।
ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत के सबसे करीबी रक्षा साझेदारों में से एक है और रक्षा सहयोग भारत और ओमान के बीच रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है। दोनों देश रणनीतिक साझेदारी के दृष्टिकोण के तहत काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।