पूजा श्रीवास्तव, लखनऊ।
एमएसएमई उत्पाद हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। एमएसएमई प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है और उन्हें बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने अपनी नीतियों में कई बदलाव किए हैं। यें बातें अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने लखनऊ के एक निजी होटल में कही।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में जहां भी औद्योगिकरण अभी नहीं हुआ था, चाहे पूर्वांचल हो, बुंदेलखंड हो या मध्य उत्तर प्रदेश हो, उन सभी क्षेत्रों में भी हमने एमएसएमई को आगे बढ़ने का काम किया है। सरकार ने प्रदेश में कारोबार के लिए अनुकूल माहौल बनाया है।
उपमुख्यमंत्री ने कृषि क्षेत्र में सुधार की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती पर जोर दिया है और आह्वान किया है कि खेती में काम से कम कीटनाशकों का प्रयोग हो। इसके लिए एक मुहिम चलाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि खेती में कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो गई है और दलहन तथा तिलहन के उत्पादन में गिरावट आई है।
योजना एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने एमएसएमई के जरिए उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने से संबंधित एक प्रस्तुतिकरण दिया।
श्री कुमार ने कहा कि एमएसएमई उत्तर प्रदेश के अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। जीएसडीपी के स्तर और गुणवत्ता को संचालित करने वाले प्रमुख तत्वों को मजबूत करके हम कोर और सक्षमकारी क्षेत्रों का विकास कर सकते हैं। उन्होंने ऊर्जा, स्वास्थ्य, मूलभूत ढांचे, नगरीय विकास और शिक्षा तथा कौशल विकास जैसे सक्षमकारी क्षेत्रों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि हर सेक्टर में एमएसएमई के लिए कहां पर अवसर हैं, उनकी तलाश के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि जब तक एमएसएमई 30 या 40 प्रतिशत की दर से आगे नहीं बढ़ेगा, तब तक हमारी अर्थव्यवस्था प्रगति नहीं कर सकती।
इस सत्र को उद्योग विभाग के अपर आयुक्त राजकमल यादव, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक संजय कुमार डोरा, उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट काउंसिल के सह अध्यक्ष अनुपम मित्तल, एसोचौम उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट काउंसिल के सह अध्यक्ष हसन याकूब और डेल स्मॉल बिजनेस इंडिया की कंट्री डायरेक्टर समृद्धि भट्टाचार्य ने भी सम्बोधित किया।
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