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नमामि गंगे द्वारा शोधित जल के पुनः उपयोग हेतु बढ़ावा दिया जा रहा है। शोधित जल का पुनः उपयोग ताप विद्वद्युत ग्रहो में, रेलवे शेड में, सिंचाई हेतु, बागवानी इत्यादि में प्रयोग प्रोत्साहित किया जा रहा है

एक्सपो मार्ट ग्रेटर नोएडा, जनपद गौतम बुद्ध नगर में यू०पी० इण्टरनेशनल ट्रेड शो में राज्य स्वच्छ गंगा मिशन यू०पी० का द्वारा हाल नंबर सात में स्टॉल लगाया गया।

स्टॉल का शुभारंभ प्रमुख सचिव नमामि गंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति विभाग श्री अनुराग श्रीवास्तव द्वारा किया गया।

नमामि गंगे द्वारा शोधित जल के पुनः उपयोग हेतु बढ़ावा दिया जा रहा है। शोधित जल का पुनः उपयोग ताप विद्वद्युत ग्रहो में, रेलवे शेड में, सिंचाई हेतु, बागवानी इत्यादि में प्रयोग प्रोत्साहित किया जा रहा है। शोधित जल का पुनः उपयोग हेतु Framework तैयार कर उचित दिशा निर्देश दिए गए हैं।

ट्रेड शो मे आने वाले आम-जन को नदी स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया।

राज्य स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा अपने स्टाल में प्रदेश में नमामि गंगे के अंतर्गत संचालित एसटीपी तथा निर्मित घाट, शवदाहगृह तथा गंगा स्वच्छता के लिए की जा रही जन जागरूकता संबंधी प्रदर्शनी लगाई गई तथा बरेली में संचालित 10 एमएलडी के एसटीपी का मॉडल प्रदर्शित किया गया।

एसटीपी के मॉडल में बी.टेक छात्रो मे तथा विभिन्न स्कूल के सैकड़ो बच्चो ने खूब रुचि दिखाई।

छोटे बच्चो के लिए गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता पर समझ विकसित करने के लिए बनवाई गई चाचा चौधरी कामिक्स के प्रति बहुत उत्साह दिखा।

स्टाल पर विदेशी आगंतुको भी आना हुआ जिनको गंगा नदी की महता उपयोगिता एवं गंगा की सहायक नदीयो के बारे मे जानकारी दी गई। उन्होंने नमामि गंगे के अंतर्गत संचालित राज्य स्वच्छ गंगा मिशन उत्तर प्रदेश के प्रयासों की प्रशंसा की और सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।

स्टॉल पर आने वाले आगंतुकों को प्रदेश में नमामि गंगे के अंतर्गत निर्मित एवं सुचारू रूप से कार्य कर रहे एसटीपी की जानकारी दी गई।

राज्य में 63 सीवर शोधन की परियोजनायें स्वीकृत हुई हैं जिनमे से 37 पूर्ण की जा चुकी हैं तथा शेष 12 पर कार्य प्रगति में है। 06 परियोजनाओं के कार्यदिश निर्गत किये गये हैं तथा 8 परियोजना के क्रियान्वयन हेतु वर्तमान में टेंडर की प्रक्रिया जारी है। उपरोक्त 63 परियोजनाओं के पूर्ण होने से 2117.35 MLD सीवेज शोधित हो सकेगा।

इन योजनाओं में 15 वर्ष के संचालन एवं रख रखाव की व्यवस्था की गयी है। इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य विभिन नालो द्वारा नदियों में प्रवाहित गंदे जल का शोधन कर नदिओं में हो रहे प्रदुषण की रोकथाम करना है।

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